Yatharth Sandesh
17 Dec, 2017 (Hindi)
National
धर्म परिवर्तन के लिए लेनी होगी कलेक्टर से अनुमति – राजस्थान उच्च न्यायालय का निर्णय
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एेसा निर्णय संपूर्ण देश में इसे लागू करना चाहिए, एेसी जनता की अपेक्षा है – सम्पादक, हिन्दूजागृति
धर्म परिवर्तन को लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए १० बिंदुओं की एक गाइडलाइन जारी की है।जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास और विनीत माथुर की खण्डपीठ की ओर से जारी दिशा -निर्देशों के अनुसार अब राज्य में धर्म परिवर्तन से पहले जिला कलेक्टर को बताना अनिवार्य होगा।
खंडपीठ ने यह गाइडलाइन प्रदेश में धर्म परिवर्तन के कानून पर बहस को विराम देते हुए जारी की। दरअसल, राजस्थान में हाल ही एक हिंदू लडकी के घर से भागकर मुस्लिम युवक से शादी करने का मामला सामने आया था। लडकी की ओर से धर्म परिवर्तन करने का दावा पेश किया गया। इसी मामले में उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार से धर्म परिवर्तन के कानून की जानकारी मांगी थी।
सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवकुमार व्यास ने कहा कि सरकार ने धर्म परिवर्तन को लेकर जो बिल बनाया था, वह दोबारा राष्ट्रपति के पास भेजा गया, जिसकी सुनवाई २७ नवम्बर तय हुई थी।
मामले में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मगराज सिंघवी और नीलकमल बोहरा ने दलील दी कि बिना किसी प्रक्रिया अथवा नियम के धर्म परिवर्तन नहीं किया जा सकता। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के वर्ष १९७७ में जारी निर्णय की नजीर पेश करते हुए बताया कि राज्य धर्मांतरण के नियम या कानून बना सकता है।
इस पर उच्च न्यायालय ने दिशा निर्देश जारी हुए कहा कि यह तब तक लागू रहेंगे जब तक प्रदेश सरकार धर्म परिर्वतन को लेकर कोई कानून नहीं बना लेती।
स्त्रोत : न्यूज १८
धर्म परिवर्तन को लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए १० बिंदुओं की एक गाइडलाइन जारी की है।जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास और विनीत माथुर की खण्डपीठ की ओर से जारी दिशा -निर्देशों के अनुसार अब राज्य में धर्म परिवर्तन से पहले जिला कलेक्टर को बताना अनिवार्य होगा।
खंडपीठ ने यह गाइडलाइन प्रदेश में धर्म परिवर्तन के कानून पर बहस को विराम देते हुए जारी की। दरअसल, राजस्थान में हाल ही एक हिंदू लडकी के घर से भागकर मुस्लिम युवक से शादी करने का मामला सामने आया था। लडकी की ओर से धर्म परिवर्तन करने का दावा पेश किया गया। इसी मामले में उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार से धर्म परिवर्तन के कानून की जानकारी मांगी थी।
सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवकुमार व्यास ने कहा कि सरकार ने धर्म परिवर्तन को लेकर जो बिल बनाया था, वह दोबारा राष्ट्रपति के पास भेजा गया, जिसकी सुनवाई २७ नवम्बर तय हुई थी।
मामले में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मगराज सिंघवी और नीलकमल बोहरा ने दलील दी कि बिना किसी प्रक्रिया अथवा नियम के धर्म परिवर्तन नहीं किया जा सकता। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के वर्ष १९७७ में जारी निर्णय की नजीर पेश करते हुए बताया कि राज्य धर्मांतरण के नियम या कानून बना सकता है।
इस पर उच्च न्यायालय ने दिशा निर्देश जारी हुए कहा कि यह तब तक लागू रहेंगे जब तक प्रदेश सरकार धर्म परिर्वतन को लेकर कोई कानून नहीं बना लेती।
स्त्रोत : न्यूज १८
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