Yatharth Sandesh
22 Jan, 2018 (Hindi)
Bhartiya Culture Protection
मोदी के मंत्री सत्यपाल सिंह ने डार्विन के सिद्धांत को बताया गलत, कहा- ‘किसी ने बंदर को इंसान बनते नहीं देखा’ (Darvin's evolution of man)
Sub Category: Bhakti Geet
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१. जब मनुष्य का विकास बन्दर से हुआ तो सारे बन्दर आदमी क्यों नहीं बने?
२. बन्दर से आदमी बन गया तो गधे से क्या बना? हाथी से क्या बना? यह प्रक्रिया केवल बन्दर पर ही लागु क्यों हुई? और बन्दर पहले क्या था?
३. बन्दर से हाथी एक दिन मैं तो बना नहीं होगा, धीमे धीमे पहले आधा आदमी आधा बन्दर भी रहा होगा? तो आज कुछ बन्दर ऐसे होने चाहिए जो आधे आदमी हों कुछ चौथाई आदमी हों. क्या प्रक्रिया पूरी पृथ्वी के बन्दर मैं एक साथ हुई ?
४. आज बन्दर के सैंकड़ों प्रजाति पायी जाती हैं, पर पूरी दुनियां मैं आदमी की केवल एक प्रजाति है. तो केवल एक प्रजाति के बन्दर ही आदमी बन गए क्या? और वो कौन सी प्रजाति थी वैज्ञानिक उस प्रजाति का नाम बताएं ?
बंधुओ पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इस थ्योरी को गलत मान चुके हैं यह हमारी संस्कृति को नष्ट करने के लिए थोपा गया था. क्यूंकि भारतीय दर्शन यह कहता है की मनुष्य की उत्पत्ति ईश्वर से है| कृपया कमेंट करें -
केंद्र की नरेंद्र मोदी कैबिनेट में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने दावा किया है कि मानव के क्रमिक विकास का चार्ल्स डार्विन का सिद्धांत ‘वैज्ञानिक रूप से गलत है।’ साथ ही उन्होंने स्कूल और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में इसमें बदलाव की भी वकालत की। सत्यपाल सिंह ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने कभी किसी बंदर के इंसान बनने का उल्लेख नहीं किया है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार केंद्रीय मंत्री ने पिछले शुक्रवार को ने मानव के क्रमिक विकास पर चार्ल्स डार्विन के सिद्धांत को ‘वैज्ञानिक रूप से गलत’ बताया। यही नहीं, उन्होंने स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में इसमें बदलाव की भी हिमायत की। बता दें कि कुछ दिन पहले राजस्थान के शिक्षामंत्री ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का जनक न्यूटन की जगह भारतीय गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त को बताया था।
मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सिंह ने कहा कि, ‘हमारे पूर्वजों ने कभी किसी एप (Ape) के इंसान बनने का उल्लेख नहीं किया है।’ उन्होंने कल संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि, ‘(इंसानों के विकास संबंधी) चार्ल्स डार्विन का सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से गलत है। स्कूल और कॉलेज पाठ्यक्रम में इसे बदलने की जरूरत है। इंसान जब से पृथ्वी पर देखा गया है, हमेशा इंसान ही रहा है।’
ऑल इंडिया वैदिक सम्मेलन में हिस्सा लेने मध्य महाराष्ट्र के इस शहर में आए पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा, ‘हमारे किसी भी पूर्वज ने लिखित या मौखिक रूप में एप को इंसान में बदलने का जिक्र नहीं किया था।’ डार्विनवाद जैविक विकास से संबंधित सिद्धांत है। उन्नीसवीं सदी के अंग्रेज प्रकृतिवादी डार्विन और अन्य ने यह सिद्धांत दिया था।
१. जब मनुष्य का विकास बन्दर से हुआ तो सारे बन्दर आदमी क्यों नहीं बने?
२. बन्दर से आदमी बन गया तो गधे से क्या बना? हाथी से क्या बना? यह प्रक्रिया केवल बन्दर पर ही लागु क्यों हुई? और बन्दर पहले क्या था?
३. बन्दर से हाथी एक दिन मैं तो बना नहीं होगा, धीमे धीमे पहले आधा आदमी आधा बन्दर भी रहा होगा? तो आज कुछ बन्दर ऐसे होने चाहिए जो आधे आदमी हों कुछ चौथाई आदमी हों. क्या प्रक्रिया पूरी पृथ्वी के बन्दर मैं एक साथ हुई ?
४. आज बन्दर के सैंकड़ों प्रजाति पायी जाती हैं, पर पूरी दुनियां मैं आदमी की केवल एक प्रजाति है. तो केवल एक प्रजाति के बन्दर ही आदमी बन गए क्या? और वो कौन सी प्रजाति थी वैज्ञानिक उस प्रजाति का नाम बताएं ?
बंधुओ पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इस थ्योरी को गलत मान चुके हैं यह हमारी संस्कृति को नष्ट करने के लिए थोपा गया था. क्यूंकि भारतीय दर्शन यह कहता है की मनुष्य की उत्पत्ति ईश्वर से है| कृपया कमेंट करें -
केंद्र की नरेंद्र मोदी कैबिनेट में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने दावा किया है कि मानव के क्रमिक विकास का चार्ल्स डार्विन का सिद्धांत ‘वैज्ञानिक रूप से गलत है।’ साथ ही उन्होंने स्कूल और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में इसमें बदलाव की भी वकालत की। सत्यपाल सिंह ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने कभी किसी बंदर के इंसान बनने का उल्लेख नहीं किया है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार केंद्रीय मंत्री ने पिछले शुक्रवार को ने मानव के क्रमिक विकास पर चार्ल्स डार्विन के सिद्धांत को ‘वैज्ञानिक रूप से गलत’ बताया। यही नहीं, उन्होंने स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में इसमें बदलाव की भी हिमायत की। बता दें कि कुछ दिन पहले राजस्थान के शिक्षामंत्री ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का जनक न्यूटन की जगह भारतीय गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त को बताया था।
मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सिंह ने कहा कि, ‘हमारे पूर्वजों ने कभी किसी एप (Ape) के इंसान बनने का उल्लेख नहीं किया है।’ उन्होंने कल संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि, ‘(इंसानों के विकास संबंधी) चार्ल्स डार्विन का सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से गलत है। स्कूल और कॉलेज पाठ्यक्रम में इसे बदलने की जरूरत है। इंसान जब से पृथ्वी पर देखा गया है, हमेशा इंसान ही रहा है।’
ऑल इंडिया वैदिक सम्मेलन में हिस्सा लेने मध्य महाराष्ट्र के इस शहर में आए पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा, ‘हमारे किसी भी पूर्वज ने लिखित या मौखिक रूप में एप को इंसान में बदलने का जिक्र नहीं किया था।’ डार्विनवाद जैविक विकास से संबंधित सिद्धांत है। उन्नीसवीं सदी के अंग्रेज प्रकृतिवादी डार्विन और अन्य ने यह सिद्धांत दिया था।
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