Yatharth Sandesh
14 Dec, 2018 (Hindi)
Bhartiya Culture Protection
भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करना चाहिए था : जस्टिस एस आर सेन
Sub Category: Bhakti Geet
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नई दिल्ली : मेघालय हाई कोर्ट के जज ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि भारत को हिंदू राष्ट्र होना चाहिए और उन्होंने पीएम मोदी और ममता बनर्जी से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि देश कहीं इस्लामिक न हो जाए। मेघालय हाई कोर्ट के जस्टिस एस आर सेन ने सरकार से ऐसे रूल्स-रेगुलेशंस बनाने की अपील की है, जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों में रहने वाले गैर-मुस्लिम समुदाय और समूह को भारत में आकर बसने की इजाजत हो।
अन्य एक रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस सेन ने कहा,‘‘ कर्इ सालों तक भारत विश्व के सबसे बडे देशों में से एक था आैर यह इस देश के राज्यकर्ता हिन्दू थे । फिर मुघलों आक्रमणकारी आए आैर कर्इ हिन्दुआें का धर्मांतरण हुआ । फिर ब्रिटीश आए आैर उसके परिणाम स्वरूप भारतीय स्वातंत्र्यसंग्राम का प्रारंभ हुआ । भारत का १९४७ से धर्म के आधार पर विभाजन हुआ आैर उस समय लाखो हिन्दू तथा सिखोंपर अत्याचार हुए, उन्हें मार दिया गया, इसलिए उन्हें भारत में भागकर आने की आवश्यकता पडी । १९४७ में पाकिस्तान ने अपने आप को इस्लामिक देश घोषित किया । भारत को भी हिन्दू राष्ट्र घोषित करना चाहिए था, परंतु भारत ने ‘धर्मनिरपेक्ष’ राष्ट्र बन गया ।’’
न्यायमूर्ति सेन ने कहा, ‘मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि कोई भारत को इस्लामिक देश बनाने की कोशिश न करे। अगर यह इस्लामिक देश हो गया तो, भारत और दुनिया में कयामत आ जाएगी। मुझे इसका पूरा भरोसा है कि मोदीजी की सरकार मामले की गंभीरता को समझेगी और जरूरी कदम उठाएगी और हमारी मुख्यमंत्री ममताजी राष्ट्रहित में हर तरह से उसका समर्थन करेंगी।’ न्यायमूर्ति सेन ने सरकार से अनुरोध किया कि वह भारत में कहीं से भी आकर बसे हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, इसाई, खासी, जयंतिया और गारो समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिक घोषित करे।
न्यायमूर्ति ने अपनी अपील में यह भी कहा कि भविष्य में इन समुदाय के जो भी लोग भारत आएं, उन्हें भी भारतीय नागरिक माना जाए। उन्होंने यह भी कहा कि वह भारत में बसे शांतिप्रिय मुसलमानों के खिलाफ नहीं हैं। न्यायमूर्ति सेन के मुताबिक, ‘मैं अपने उन मुसलमान भाइयों और बहनों के खिलाफ नहीं हूं, जो भारत में कई पीढ़ियों से रह रहे हैं और यहां के कानून का पालन करते हैं। उन्हें यहां शांति से रहने दिया जाना चाहिए।’ हालांकि उन्होंने सरकार से इसे सुनिश्चित करने के लिए सभी भारतीय नागरिकों की खातिर एकसमान कानून बनाने का अनुरोध किया, ताकि उन पर देश के कानून और संविधान का पालन करने की पाबंदी हो।
न्यायमूर्ति सेन के कमेंट से कानूनविदों में हलचल
न्यायमूर्ति सेन ने कहा, ‘भारत के कानून और संविधान का विरोध करने वाले किसी शख्स को भारत का नागरिक नहीं माना जा सकता। हमें नहीं भूलना चाहिए कि पहले हम भारतीय हैं और फिर अच्छे मनुष्य। जिस समुदाय से हम ताल्लुक रखते हैं, वह उसके बाद आता है।’ आमतौर पर कंजर्वेटिव माने जाने वाले कानूनविदों के समुदाय में न्यायमूर्ति सेन के इस कमेंट पर हलचल मच गई है। जज आमतौर पर केस से अलग हटकर जनहित में कमेंट करते रहते हैं, लेकिन वे आमतौर बाध्यकारी नहीं मानकर नजरअंदाज कर दिए जाते हैं।
संदर्भ : नवभारत टाइम्स
अन्य एक रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस सेन ने कहा,‘‘ कर्इ सालों तक भारत विश्व के सबसे बडे देशों में से एक था आैर यह इस देश के राज्यकर्ता हिन्दू थे । फिर मुघलों आक्रमणकारी आए आैर कर्इ हिन्दुआें का धर्मांतरण हुआ । फिर ब्रिटीश आए आैर उसके परिणाम स्वरूप भारतीय स्वातंत्र्यसंग्राम का प्रारंभ हुआ । भारत का १९४७ से धर्म के आधार पर विभाजन हुआ आैर उस समय लाखो हिन्दू तथा सिखोंपर अत्याचार हुए, उन्हें मार दिया गया, इसलिए उन्हें भारत में भागकर आने की आवश्यकता पडी । १९४७ में पाकिस्तान ने अपने आप को इस्लामिक देश घोषित किया । भारत को भी हिन्दू राष्ट्र घोषित करना चाहिए था, परंतु भारत ने ‘धर्मनिरपेक्ष’ राष्ट्र बन गया ।’’
न्यायमूर्ति सेन ने कहा, ‘मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि कोई भारत को इस्लामिक देश बनाने की कोशिश न करे। अगर यह इस्लामिक देश हो गया तो, भारत और दुनिया में कयामत आ जाएगी। मुझे इसका पूरा भरोसा है कि मोदीजी की सरकार मामले की गंभीरता को समझेगी और जरूरी कदम उठाएगी और हमारी मुख्यमंत्री ममताजी राष्ट्रहित में हर तरह से उसका समर्थन करेंगी।’ न्यायमूर्ति सेन ने सरकार से अनुरोध किया कि वह भारत में कहीं से भी आकर बसे हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, इसाई, खासी, जयंतिया और गारो समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिक घोषित करे।
न्यायमूर्ति ने अपनी अपील में यह भी कहा कि भविष्य में इन समुदाय के जो भी लोग भारत आएं, उन्हें भी भारतीय नागरिक माना जाए। उन्होंने यह भी कहा कि वह भारत में बसे शांतिप्रिय मुसलमानों के खिलाफ नहीं हैं। न्यायमूर्ति सेन के मुताबिक, ‘मैं अपने उन मुसलमान भाइयों और बहनों के खिलाफ नहीं हूं, जो भारत में कई पीढ़ियों से रह रहे हैं और यहां के कानून का पालन करते हैं। उन्हें यहां शांति से रहने दिया जाना चाहिए।’ हालांकि उन्होंने सरकार से इसे सुनिश्चित करने के लिए सभी भारतीय नागरिकों की खातिर एकसमान कानून बनाने का अनुरोध किया, ताकि उन पर देश के कानून और संविधान का पालन करने की पाबंदी हो।
न्यायमूर्ति सेन के कमेंट से कानूनविदों में हलचल
न्यायमूर्ति सेन ने कहा, ‘भारत के कानून और संविधान का विरोध करने वाले किसी शख्स को भारत का नागरिक नहीं माना जा सकता। हमें नहीं भूलना चाहिए कि पहले हम भारतीय हैं और फिर अच्छे मनुष्य। जिस समुदाय से हम ताल्लुक रखते हैं, वह उसके बाद आता है।’ आमतौर पर कंजर्वेटिव माने जाने वाले कानूनविदों के समुदाय में न्यायमूर्ति सेन के इस कमेंट पर हलचल मच गई है। जज आमतौर पर केस से अलग हटकर जनहित में कमेंट करते रहते हैं, लेकिन वे आमतौर बाध्यकारी नहीं मानकर नजरअंदाज कर दिए जाते हैं।
संदर्भ : नवभारत टाइम्स
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