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Yatharth Sandesh
19 Feb, 2023 (Hindi)
Dharm

'मोह रात्रि को त्याग कर जीव शिवरात्रि मैं प्रवेश लेता है' - स्वामी आशुतोषानन्द

Sub Category: Bhakti Geet

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महाशिवरात्रि पर्व पर स्वामी आशुतोषानन्द के विचार
पलवल, ग्राम घोड़ी स्थित ब्रह्मलीन परमहंस स्वामी श्री बज्रानन्द जी महाराज की तपःस्थली श्री परमहंस आश्रम घोड़ी मैं उनके वरिष्ठ शिष्य स्वामी आशुतोषानन्द जी अध्यक्ष भारतीय संस्कृति सुरक्षा एवं मानव कल्याण समिति ट्रस्ट द्वारा आयोजित विशाल सत्संग एवं भंडारा कार्यक्रम में क्षेत्रीय संत महात्मा आसपास एवं दूरदराज से श्रद्धालु भक्तगण उपस्थित हुए स्वामी श्री आशुतोषानन्द जी ने सत्संग में कहा कि अज्ञान रूपी रात्रि को समाप्त कर यह जीवात्मा शिवरात्रि अर्थात कल्याण की रात्रि में प्रवेश करता है तो साधना पूर्ण हो जाती है। किसी तत्वदर्शी महापुरुष के सानिध्य से ईश्वर की जागृति के पश्चात एक दिन वह कैलाश शिखर (कैवल्य पद) पर आरूढ़ हो जाता है। जिसकी वृत्ति शुभ और अशुभ से पार हो गई वही पार्वती है । प्रेम ही जल है, भाव ही भंग है, यह उपलब्धि उन्ही की दें है यही शिव पर चढ़ाना है। संशयों को निर्मूल करते हैं इसलिए सर्प गले में हैं।बैल पर चलते हैं अर्थात सदैव धर्म पर स्थिर हैं। ऐसे शिव स्वरूप महापुरुष की प्राप्ति के लिए एक ईश्वर मैं अटल आस्था व उसका परिचायक दो ढाई अक्षर ॐ अथवा राम के नाम का जप तथा किसी संत की यथा संभव सेवा आवश्यक है। कार्यक्रम में श्री पुरुषोत्तम दास जी, श्री सियाराम बाबा, श्री सूर्यानंद आदि महात्माओं को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम स्थल मैं गणमान्य भक्तगण ग्राम सरपंच एवं श्री जयपाल जी, श्री मुकेश पटवारी, श्री नेमसिंह, श्री जगनी, सुखवीर, पं. जीवन लाल, श्री विजेन्द्र, श्री विजय फौजी, भाजपा नेत्री ममता चौहान, श्री सूबेदार, श्री सोहम, श्री सुभाष, श्री वीर, बिल्लू, रवि, महेश,मोहन,नरेश, मनोज आदि उपस्थित रहे।

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Yadubeer Singh Bhadoria

19 Feb, 2023

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