Yatharth Sandesh
09 Jul, 2025 (Hindi)
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गुरु पूर्णिमा पर्व 10 जुलाई 2025
Sub Category: Bhakti Geet
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मनुष्य संसार में कुछ भी बन जाए कुछ भी प्राप्त कर ले लेकिन उसे संतुष्टि नहीं होती एक अधूरापन उसे प्रेरित करता है कि वह अपने जीवन को सार्थक कैसे करे क्योंकि सांसारिक क्षेत्र में कभी किसी के जीवन में पूर्णता नहीं आई। इसी अधूरेपन को दूर करने के लिए सदगुरु ही जीवन की पूर्णता का प्रवेश द्वार है। पूर्ण सदगुरु के द्वारा ही जीवन पूर्ण होता है।
पूरा सदगुरु न मिला, मिली न पूरी सीख।
भेष यती का बनाए के, दर दर मांगे भीख।
गुरु की महिमा का वर्णन शब्दों में संभव नहीं है, क्योंकि गुरु की महिमा रहस्यमय और अतिदिव्य है। जिस प्रकार प्राण के बिना जीवन संभव नहीं है उसी प्रकार सदगुरु की कृपा के बिना ज्ञान का उदय संभव नहीं हो सकता और न ही अज्ञान का अंधकार मिटेगा क्योंकि सदगुरु ही आपके हृदय में प्रकाश पैदा कर देता है जिससे यथार्थ का दर्शन होता है।
सदगुरु की कृपा पाने के लिए शिष्य को गुरु के रास्ते पर बिना परिणाम की चिंता के चलना होगा क्योंकि कभी-कभी सदगुरु कठोर व्यवहार भी करते हैं जैसे एक कुम्हार घड़े के निर्माण में बाहर से उसको पीटता है और अंदर से उसे बचाने के लिए सहारा देता है। लोग जब सुनते हैं कि बिना गुरु के कल्याण नहीं होगा तो वह दौड़ कर गुरु बन लेते हैं वास्तव में समाज को सही दिशा देने वाले जीवन मुक्त महापुरुष विरले होते हैं, जैसे श्रीराम, श्रीकृष्ण, बुद्ध, महावीर, ईसा, कबीर, नानक, तुलसी, मीरा, रैदास और परमहंस जी महाराज इत्यादि अपने समय के अकेले ही तत्त्ववेत्ता सदगुरु थे। गुरु पूर्णिमा पर्व ऐसे ही महापुरुष के चरणों में अपनी श्रद्धा व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण दिवस है।
ॐ श्री सदगुरुदेव भगवान की जय !
पूरा सदगुरु न मिला, मिली न पूरी सीख।
भेष यती का बनाए के, दर दर मांगे भीख।
गुरु की महिमा का वर्णन शब्दों में संभव नहीं है, क्योंकि गुरु की महिमा रहस्यमय और अतिदिव्य है। जिस प्रकार प्राण के बिना जीवन संभव नहीं है उसी प्रकार सदगुरु की कृपा के बिना ज्ञान का उदय संभव नहीं हो सकता और न ही अज्ञान का अंधकार मिटेगा क्योंकि सदगुरु ही आपके हृदय में प्रकाश पैदा कर देता है जिससे यथार्थ का दर्शन होता है।
सदगुरु की कृपा पाने के लिए शिष्य को गुरु के रास्ते पर बिना परिणाम की चिंता के चलना होगा क्योंकि कभी-कभी सदगुरु कठोर व्यवहार भी करते हैं जैसे एक कुम्हार घड़े के निर्माण में बाहर से उसको पीटता है और अंदर से उसे बचाने के लिए सहारा देता है। लोग जब सुनते हैं कि बिना गुरु के कल्याण नहीं होगा तो वह दौड़ कर गुरु बन लेते हैं वास्तव में समाज को सही दिशा देने वाले जीवन मुक्त महापुरुष विरले होते हैं, जैसे श्रीराम, श्रीकृष्ण, बुद्ध, महावीर, ईसा, कबीर, नानक, तुलसी, मीरा, रैदास और परमहंस जी महाराज इत्यादि अपने समय के अकेले ही तत्त्ववेत्ता सदगुरु थे। गुरु पूर्णिमा पर्व ऐसे ही महापुरुष के चरणों में अपनी श्रद्धा व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण दिवस है।
ॐ श्री सदगुरुदेव भगवान की जय !
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