Yatharth Sandesh

    Yatharth Sandesh 23 Sep, 2017, 22:14:PM (English)Ancient Bhartiya Culture

    Many news stories about prehistoric finds and their possible meaning in terms of archaeology and social history have reached the world in recent decades. One of them, found in South Germany, put scientists around the world in a state of amazement some years back. The centerpiece is the “lion man”, an idol that is made from the tusk of a mammoth in the form of a human body with a lion head. Amazingly… See more

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    Yatharth Sandesh 23 Sep, 2017, 17:08:PM (Hindi)History

    _*क्या भारत में मुसलमानों ने 800 वर्षों तक शासन किया है-*_
    _सुनने में यही आता है पर न कभी कोई आत्ममंथन करता है और न इतिहास का सही अवलोकन। आईये देखते हैं, इतिहास के वास्तविक नायक कौन थे? और उन्होंने किस प्रकार मुगलिया ताकतों को रोके रखा और भारतीय संस्कृति की रक्षा में सफल रहे।_
    _*राजा दाहिर : प्रारम्भ करते है मुहम्मद बिन कासिम के समय से-*_
    _भारत पर पहला आक्रमण मुहम्मद बिन ने 711 ई… See more

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    Yatharth Sandesh 23 Sep, 2017, 22:04:PM (English)Ancient Bhartiya Culture

    Hyderabad: New research carried out by anthropological scientists from the Estonian Biocentre and the University of Delhi claims that events of the mythological epic Ramayana occurred in reality thousands of years ago. Scientists say that results of their genetic studies, with existing data, show genetic signatures of tribal groups featured in the Ramayana such as the Gonds, Kols and Bhils. Gonds… See more

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    Yatharth Sandesh 23 Sep, 2017, 16:28:PM (Hindi)History

    *दोस्त होने के बावजूद चंदबरदाई ने क्यों किया था पृथ्वीराज चौहान का वध
    योद्धाओं की धरती
    भारत की भूमि पर अनेक ¬योद्धाओं और महायोद्धाओं ने जन्म लिया है। अपने दुश्मन को धूल चटाकर विजयश्री हासिल करने वाले इन योद्धाओं ने कभी अपने प्राणों की परवाह नहीं की। हमारे इतिहास ने इन योद्धाओं को वीरगति से नवाजा, सदियां बीतने के बाद आज भी इन्हें शूरवीर ही माना जाता है लेकिन इन वीरों की निजी जिन्दगी कितनी… See more

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    Yatharth Sandesh 20 Sep, 2017, 23:38:PM (Hindi)Bhartiya Culture Protection

    इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे” – मेकॉले (Lord Macaulay)
    कॉन्वेंट स्कूलों ने किया बर्बाद 1858 में Indian Education Act बनाया गया। इसकी ड्राफ्टिंग ‘लोर्ड मैकोले’(Lord Macaulay) ने की थी। लेकिन उसके पहले उसने यहाँ (भारत) के शिक्षा व्यवस्था का सर्वेक्षण कराया था, उसके पहले भी कई अंग्रेजों ने भारत के शिक्षा व्यवस्था के बारे में… See more

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    Yatharth Sandesh 09 Sep, 2017, 10:04:AM (Hindi)Story

    एक बार अकबर बीरबल हमेशा की तरह टहलने जा रहे थे!
    रास्ते में एक तुलसी का पौधा दिखा .. मंत्री बीरबल ने झुक कर प्रणाम किया !
    अकबर ने पूछा कौन हे ये ?
    बीरबल -- मेरी माता हे !
    अकबर ने तुलसी के झाड़ को उखाड़ कर फेक दिया और बोला .. कितनी माता हैं तुम हिन्दू लोगो की ...!
    बीरबल ने उसका जबाब देने की एक तरकीब सूझी! .. आगे एक बिच्छुपत्ती (खुजली वाला ) झाड़ मिला .. बीरबल उसे दंडवत… See more

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    Yatharth Sandesh 09 Sep, 2017, 09:43:AM (Hindi)Dharm

    अस्सी के दशक में भारत में पहली बार #रामयण जैसे हिन्दू धार्मिक सीरियलों का दूरदर्शन पर प्रसारण शुरू हुवा
    और नब्बे के दशक आते आते #महाभारत ने ब्लैक एंड वाईट टेलीविजन पर अपनी पकड मजबूत कर ली ।
    जब रविवार को DD1 पर रामायण शुरू होता था तो देश की गलियां सुनी हो जाती थी ।
    अपने आराध्य को टीवी पर देखने की ऐसी दीवानगी थी की रामायण सीरियल में राम बने अरुण गोविल अगर सामने आ जाते तो लोगों में… See more

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    Yatharth Sandesh 09 Sep, 2017, 00:01:AM (Hindi)Books

    जर्मनी के होलगर क्रिस्टीन वह पहले लेखक थे, जिन्होंने लंबे समय तक इजरायल से लेकर भारत तक शोध किया और यह साबित किया कि इतिहास के किसी कालखंड में जीजस नामक कोई व्यक्ति कभी नहीं हुए। वह येशुआ थे, जिसकी उत्पत्ति संस्कृत के ईश या ईश्वर से हुयी थी।
    जीजस के क्रूसेड की झूठी कहानी का भंडाफोड़ सबसे पहले रूसी नोटोविच ने किया, लेकिन 1895 में उनकी पुस्तक को बैन कर सेंटपिट्सबर्ग में उन्हें गिरफ्तार कर लिया… See more

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    Yatharth Sandesh 08 Sep, 2017, 23:05:PM (Hindi)History

    ग़ुलाम वंश दिल्ली में कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा 1206 ई. में स्थापित किया गया था.
    यह वंश 1290 ई. तक शासन करता रहा. इसका नाम ग़ुलाम वंश इस कारण पड़ा कि इसका संस्थापक और उसके इल्तुतमिश और बलबन जैसे महान उत्तराधिकारी प्रारम्भ में ग़ुलाम अथवा दास थे और बाद में वे दिल्ली का सिंहासन प्राप्त करने में समर्थ हुए.
    कुतुबुद्दीन 1206-10 ई. मूलत: शहाबुद्दीन मोहम्मद ग़ोरी का तुर्क दास था और 1192 ई. के ‘तराइन… See more

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