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Yatharth Sandesh
05 Jul, 2017(Hindi)
Herbal Treatment

जामुन की सिर्फ 1 गुठली खाने से होते है 101 चमत्कारी फायदे, जानकारी उपयोगी हो तो आगे बढ़ाये

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जामुन (Java Plum/jambul/Jamun) : सिर्फ

आज हम आपको जामुन की गुठली से होने वाले 101 फायदों के बारे में Allayurvedic के माध्यम से बताएँगे। जामुन एक मौसमी फल है। खाने में स्वादिष्ट होने के साथ ही इसके कई औषधीय गुण भी हैं। जामुन अम्लीय प्रकृति का फल है पर यह स्वाद में मीठा होता है। यह खट्टा, रुचिकर, शीतल व वायु का नाश करने वाला होता है। जामुन में भरपूर मात्रा में ग्लूकोज और फ्रुक्टोज पाया जाता है। जामुन में लगभग वे सभी जरूरी लवण पाए जाते हैं जिनकी शरीर को आवश्यकता होती है। जामुन में लौह और फास्फोरस काफी मात्रा में होता है। जामुन में कोलीन तथा फोलिक एसिड भी होता है। जामुन के बीच में ग्लुकोसाइड, जम्बोलिन, फेनोलयुक्त पदार्थ, पीलापल लिए सुगन्धित तेल काफी मात्रा में उपलब्ध होता है। जामुन मधुमेह (डायबिटीज), पथरी, लीवर, तिल्ली और खून की गंदगी को दूर करता है। यह मूत्राशय में जमी पथरी को निकालता है। जामुन और उसके बीज पाचक और स्तम्भक होते हैं। आइये जानते है जामुन से होने वाले 101 फायदों के बारे में।
➡ जामुन (Java Plum/jambul/Jamun) के 101 अद्भुत फायदे :

मधुमेह के रोग : जामुन की सूखी गुठलियों को 5-6 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी के साथ दिन में दो या तीन बार सेवन करने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
30 ग्राम जामुन की नई कोपलें (पत्तियां) और 5 काली मिर्च, पानी के साथ पीसकर सुबह-शाम पीने से मधुमेह में लाभ होता है।
जामुन की गुठलियों को छाया में सुखाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को रोजाना सुबह-शाम 3-3 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
जामुन की गुठली का चूर्ण और सूखे करेले का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें। 3 ग्राम चूर्ण रोजाना सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह के रोग में फायदा होता है।
जामुन की भीतरी छाल को जलाकर भस्म (राख) बनाकर रख लें। इसे रोजाना 2 ग्राम पानी के साथ सेवन करने से मूत्र में शर्करा कम होता है।
10-10 ग्राम जामुन का रस दिन में तीन बार लेने से मधुमेह मिट जाता है।
12 ग्राम जामुन की गुठली और 1 ग्राम अफीम को पानी के साथ मिलाकर 32 गोलियां बना लें। फिर इसे छाया में सुखाकर बोतल में भर लें। 2-2 गोली सुबह-शाम पानी के साथ खायें। खाने में जौ की रोटी और हरी सब्जी खाएं। चीनी बिल्कुल न खायें। इससे मधुमेह में लाभ होता है।
60 ग्राम जामुन की गुठली की गिरी पीस लें। इसे 3-3 ग्राम की मात्रा में पानी से सुबह-शाम सेवन करने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
8-10 जामुन के फलों को 1 कप पानी में उबालें। फिर पानी को ठण्डा करके उसमें जामुन को मथ लें। इस पानी को सुबह-शाम पीयें। यह मूत्र में शूगर को कम करता है।
1 चम्मच जामुन का रस और 1 चम्मच पके आम का रस मिलाकर रोजाना सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
जामुन के 4-5 पत्तों को सुबह के समय थोडे़-से सेंधा नमक के साथ चबाकर खाने से कुछ दिनों में ही मधुमेह का रोग मिट जाता है।
जामुन के 4 हरे और नर्म पत्ते खूब बारीक कर 60 मिलीलीटर पानी में मिलाकर छान लें। इसे सुबह के समय 10 दिनों तक लगातार पीयें। इसके बाद इसे हर दो महीने बाद 10 दिन तक लें। जामुन के पत्तों का यह रस मूत्र में शक्कर जाने की परेशानी से बचाता है।
मधुमेह रोग के शुरुआत में ही जामुन के 4-4 पत्ते सुबह-शाम चबाकर खाने से तीसरे ही दिन मधुमेह में लाभ होगा।
60 ग्राम अच्छे पके जामुन को लेकर 300 मिलीलीटर उबले पानी में डाल दें। आधा घंटे बाद मसलकर छान लें। इसके तीन भाग करके एक-एक मात्रा दिन में तीन बार पीने से मधुमेह के रोगी के मूत्र में शर्करा आना बहुत कम हो जाता है, नियमानुसार जामुन के फलों के मौसम में कुछ समय तक सेवन करने से रोगी सही हो जाता है।
जामुन की गुठली को छाया में सुखाकर चूर्ण बनाकर रोजाना सुबह-शाम 3 ग्राम ताजे पानी के साथ लेते रहने से मधुमेह दूर होता है और मूत्र घटता है। इसे करीब 21 दिनों तक लेने से लाभ होगा।
जामुन की गुठली और करेले को सुखाकर समान मात्रा में मिलाकर पीस लें। इसे एक चम्मच सुबह-शाम पानी के साथ फंकी लें। इससे मधुमेह मिट जायेगा। 125 ग्राम जामुन रोजाना खाने से शुगर नियन्त्रित हो जाता है।
पेट में दर्द : जामुन का रस 10 मिलीलीटर, सिरके का रस 50 मिलीलीटर पानी में घोलकर पीने से पेट की पीड़ा में लाभ होता है।
जामुन के रस में सेंधानमक खाने से पेट का दर्द, दस्त लगना, अग्निमान्द्य (भूख का न लगना) आदि बीमारियों में लाभ होता है।
पके हुए जामुन के रस में थोड़ा-सी मात्रा में काला नमक मिलाकर पीने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
जामुन में सेंधानमक मिलाकर खाने से भी पेट की पीड़ा से राहत मिलती है।
पेट की बीमारियों में जामुन खाना लाभदायक है। इसमें दस्त बांधने की खास शक्ति है।
यो*नि का संकोचन : जामुन की जड़ की छाल, लोध्र और धाय के फूल को बराबर मात्रा में लेकर शहद में मिलाकर यो*नि की मालिश करने से यो*नि संकुचित हो जाती है।
बिस्तर पर पेशाब करना : जामुन की गुठलियों को छाया में सुखाकर पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इस 2-2 ग्राम चूर्ण को दिन में 2 बार पानी के साथ खाने से बच्चे बिस्तर पर पेशाब करना बंद कर देते हैं।
त्वचा के रोग : जामुन के बीजों को पानी में घिसकर लगाने से चेहरे के मुंहासे मिट जाते हैं।
पीलिया का रोग : जामुन के रस में जितना सम्भव हो, उतना सेंधानमक डालकर एक मजबूत कार्क की शीशी में भरकर 40 दिन तक रखा रहने दें। इसके बाद आधा चम्मच पियें। इससे पीलिया में लाभ होगा।
फोड़े-फुंसियां : जामुन की गुठलियों को पीसकर फुंसियों पर लगाने से ये जल्दी ठीक हो जाती हैं।
बच्चों का अतिसार और रक्तातिसार : आम्रातक, जामुन फल और आम के गूदे के चूर्ण को बराबर मात्रा में शहद के दिन में 3 बार लेना चाहिए।
बच्चों का अतिसार (दस्त) में जामुन की छाल का रस 10 से 20 ग्राम सुबह और शाम बकरी के दूध के साथ देने से लाभ होता है।
बच्चों की हिचकी : जामुन, तेन्दू के फल और फूल को पीसकर घी और शहद में मिलाकर चटाने से बच्चों की हिचकी बंद हो जाती है। नोट : जहां घी और शहद एक साथ लेने हो, वहां इनको बराबर मात्रा में न लेकर एक की मात्रा कम और एक की ज्यादा होनी चाहिए।
गले की आवाज बैठना : जामुन की गुठलियों को पीसकर शहद में मिलाकर गोलियां बना लें। रोजाना 4 बार 2-2 गोलियां चूसें। इससे बैठा हुआ गला खुल जाता है। भारी आवाज भी ठीक हो जाती है और ज्यादा दिन तक सेवन करने से बिगड़ी हुई आवाज भी ठीक हो जाती है जो लोग गाना गाते हैं उनके लिये यह बहुत ही उपयोगी है।
जामुन की गुठलियों को बिल्कुल बारीक पीसकर शहद के साथ खाने से गला खुल जाता है और आवाज का भारीपन भी दूर होता है।
गले की सूजन : जामुन की गुठलियों को सुखाकर बारीक-बारीक पीस लें। फिर इसमें से दो चुटकी चूर्ण सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करें। इससे गले की सूजन नष्ट हो जाती है।
पाचन क्रिया के लिए जामुन बहुत फायदेमंद होता है। जामुन खाने से पेट से जुड़ी कई तरह की समस्याएं दूर हो जाती हैं।
मधुमेह के रोगियों के लिए जामुन एक रामबाण उपाय है। जामुन के बीज सुखाकर पीस लें। इस पाउडर को खाने से मधुमेह में काफी फायदा होता है।
मधुमेह के अलावा इसमें कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो कैंसर से बचाव में कारगर होते हैं। इसके अलावा पथरी की रोकथाम में भी जामुन खाना फायदेमंद होता है। इसके बीज को बारीक पीसकर पानी या दही के साथ लेना चाहिए।
अगर किसी को दस्त हो रहे जामुन को सेंधा नमक के साथ खाना फायदेमंद रहता है। खूनी दस्त होने पर भी जामुन के बीज बहुत फायदेमंद साबित होते हैं।
दांत और मसूड़ों से जुड़ी कई समस्याओं के समाधान में जामुन विशेषतौर पर फायदेमंद होता है। इसके बीज को पीस लीजिए। इससे मंजन करने से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं।
रक्तातिसार : जामुन के पेड़ की छाल को दूध में पीसकर शहद के साथ पीना चाहिए या जामुन के पत्तों के रस में शहद, घी और दूध मिलाकर लेना चाहिए।
जामुन का रस गुलाब के रस में मिलाकर दिन में 2-3 बार पिलायें। इससे जल्द लाभ नज़र आयेगा।
गर्मी की फुंसियां : जामुन की गुठली को घिसकर लगाना चाहिए।
बिच्छू के दंश पर : जामुन के पत्तों का रस लगाना चाहिए। इससे बिच्छू का दंश ठीक हो जाता है।
पित्त पर : 10 मिलीलीटर जामुन के रस में 10 ग्राम गुड़ मिलाकर आग पर तपायें। तपाकर उसके भाप को पीना चाहिए।
गर्भवती स्त्री का दस्त : ऐसे समय में जामुन खिलाना चाहिए या जामुन की छाल के काढ़े में धान और जौ का 10-10 ग्राम आटा डालकर चटाना चाहिए।
मुंह के रोग : जामुन, बबूल, बेर और मौलसिरी में से किसी भी पेड़ की छाल का ठण्डा पानी निकालकर कुल्ला करना चाहिए और इसकी दातून से रोज दांतों को साफ करना चाहिए इससे दांत मजबूत होते हैं और मुंह के रोग भी ठीक हो जाते हैं।
जामुन की गुठली को 1 ग्राम चूरन के पानी के साथ लेना चाहिए। चार-चार घंटे के बाद यह औषधि लेनी चाहिए। लगभग 3 दिन के बाद इसका असर दिखाई देने लगेगा।
वमन (उल्टी) : जामुन के पेड़ की छाल को आग में जलाकर उसकी राख को शहद के साथ खिलाने से खट्टी उल्टी आना बंद हो जाती है।
विसूचिका (हैजा) : हैजा से पीड़ित रोगी को 5 ग्राम जामुन के सिरके में चौगुना पानी डालकर 1-1 घण्टे के अन्तर से देना चाहिए। पेट के दर्द में भी सुबह-शाम इस सिरके का उपयोग करना चाहिए।
मुंहासे : जामुन की गुठली घिसकर लगाना चाहिए। इससे मुंहासे नष्ट हो जाते हैं।
पसीना ज्यादा आना : जामुन के पत्तों को पानी में उबालकर नहाने से पसीना अधिक आना बंद हो जायेगा।
जलना : जामुन की छाल को नारियल के तेल में पीसकर जले हिस्से पर 2-3 बार लगाने से लाभ मिलता है।
पैरों के छाले : टाईट, नया जूता पहनने या ज्यादा चलने से पैरों में छाले और घाव बन जाते हैं। ऐसे में जामुन की गुठली पानी में घिसकर 2-3 बार बराबर लगायें। इससे पैरों के छाले मिट जाते हैं।
स्व*प्नदोष : 4 जामुन की गुठली का चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ खाने से स्व*प्नदोष ठीक हो जाता है।
वी*र्य का पतलापन : वी*र्य का पतलापन हो, जरा सी उत्तेजना से ही वी*र्य निकल जाता हो तो ऐसे में 5 ग्राम जामुन की गुठली का चूर्ण रोज शाम को गर्म दूध से लें। इससे वी*र्य का पतलापन दूर हो जाता है तथा वी*र्य भी बढ़ जाता है।
पेशाब का बार-बार आना : 15 ग्राम जामुन की गुठली को पीसकर 1-1 ग्राम पानी से सुबह और शाम पानी से लेने से बहुमूत्र (बार-बार पेशाब आना) के रोग में लाभ होता है।
न*पुंसकता : जामुन की गुठली का चूर्ण रोज गर्म दूध के साथ खाने से न*पुंसकता दूर होती है।
दांतों का दर्द : जामुन, मौलश्री अथवा कचनार की लकड़ी को जलाकर उसके कोयले को बारीक पीसकर मंजन बना लें। इसे प्रतिदिन दांतों व मसूढ़ों पर मालिश करने से मसूढ़ों से खून का आना बंद हो जाता है।
बुखार : जामुन को सिरके में भिगोकर सुबह और शाम रोजाना खाने से पित्ती शांत हो जाती है।
दांत मजबूत करना : जामुन की छाल को पानी में डालकर उबाल लें तथा छानकर उसके पानी से रोजाना सुबह-शाम कुल्ला करें। इससे दांत मजबूत होते हैं।
पायरिया : जामुन के पेड़ की छाल को आग में जलाकर तथा उसमें थोड़ा-सा सेंधानमक व फिटकरी मिलाकर बारीक पीसकर मंजन बना लें। इससे रोजाना मंजन करने से पायरिया रोग ठीक होता है।
कांच निकलना (गुदाभ्रंश) : जामुन, पीपल, बड़ और बहेड़ा 20-20 ग्राम की मात्रा में लेकर 500 ग्राम जल में मिलाकर उबाल लें। रोजाना शौच के बाद मलद्वार को स्वच्छ (साफ) कर बनाये हुए काढ़ा को छानकर मलद्वार को धोएं। इससे गुदाभ्रंश ठीक होता है।
मुंह के छाले : मुंह में घाव, छाले आदि होने पर जामुन की छाल का काढ़ा बनाकर गरारे करने से लाभ होता है।
जामुन के पत्ते 50 ग्राम को जल के साथ पीसकर 300 मिलीलीटर जल में मिला लें। फिर इसके पानी को छानकर कुल्ला करें। इससे छाले नष्ट होते हैं।
दस्त : जामुन की गिरी को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसी बने चूर्ण को छाछ के साथ मिलाकर प्रयोग करने से टट्टी का लगातार आना बंद हो जाता है।
जामुन के ताजे रस को बकरी के दूध के साथ इस्तेमाल करने से दस्त में आराम मिलता है।
जामुन की गिरी (गुठली) और आम की गुठली को पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसे भुनी हुई हरड़ के साथ सेवन करने से दस्त में काफी लाभ मिलता है।
जामुन का सिरका 40 ग्राम से लेकर 80 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से अतिसार में लाभ मिलता है।
जामुन का शर्बत बनाकर पीने से दस्त का आना समाप्त हो जाता हैं।
जामुन के रस में कालानमक और थोड़ी-सी चीनी को मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।
जामुन को पीसने के बाद प्राप्त हुए रस को 2 चम्मच की मात्रा में थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर पीने से दस्त का आना बंद हो जाता है।
जामुन की गुठलियों को पीसकर चूर्ण बनाकर चीनी के साथ मिलाकर सेवन करने से दस्त का आना बंद हो जाता है।
जामुन की 4 पत्तियां को पीसकर उसमें सेंधानमक मिलाकर चाटने से लाभ मिलता है।
जामुन के 3 पत्तियों को सेंधानमक के साथ पीसकर छोटी-छोटी सी गोलियां बना लें। इसे 1-1 गोली के रूप में रोजाना सुबह सेवन करने से लूज मोशन (दस्त) का आना ठीक हो जाता हैं।
जामुन के पेड़ की छाल का काढ़ा शहद के साथ पीने से दस्त और पेचिश दूर हो जाती है।
गर्भवती की उल्टी : जामुन और आम की छाल को बराबर की मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। इसमें थोड़ा सा शहद मिलाकर पीने से पित्त के कारण होने वाली उल्टी बंद हो जाती है।
कान का दर्द : कान में दर्द होने पर जामुन का तेल डालने से लाभ होता है।
कान का बहना : जामुन और आम के मुलायम हरे पत्तों के रस में शहद मिलाकर बूंद-बूंद करके कान में डालने से कान में से मवाद बहना बंद हो जाता है।
कान के कीड़े : जामुन और कैथ के ताजे पत्तों और कपास के ताजे फलों को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर निचोड़ कर इसका रस निकाल लें। इस रस में इतना ही शहद मिलाकर कान में डालने से कान में से मवाद बहना और कान का दर्द ठीक हो जाता है।
मूत्ररोग : पकी हुई जामुन खाने से मूत्र की पथरी में लाभ होता है। इसकी गुठली को चूर्णकर दही के साथ खाना भी इस बीमारी में लाभदायक है। इसकी गुठली का चूर्ण 1-2 चम्मच ठण्डे पानी के साथ रोज खाने से पेशाब के धातु आना बंद हो जाता है।
बवासीर (अर्श) : जामुन की गुठली और आम की गुठली के भीतर का भाग सुखाकर इसको मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को हल्के गर्म पानी या छाछ के साथ पीने से बवसीर ठीक होती है तथा बवासीर में खून का गिरना बंद हो जाता है।
जामुन के पेड़ की छाल का रस निकालकर उसके 10 ग्राम रस में शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से अर्श (बवासीर) रोग ठीक होता है तथा खून साफ होता है।
जामुन के पेड़ की जड़ की छाल का रस 2 चम्मच और छोटी मधुमक्खी का शहद 2 चम्मच मिलाकर रोजाना सुबह-शाम पीने से खूनी बवासीर में खून का गिरना रुक जाता है।
जामुन की कोमल पत्तियों का 20 ग्राम रस निकालकर उसमें थोड़ा बूरा मिलाकर पीयें। इससे खूनी बवासीर ठीक होती है।
खूनी अतिसार : जामुन के पत्तों के रस का सेवन करने से रक्तातिसार के रोगी को लाभ मिलता है।
20 ग्राम जामुन की गुठली को पानी में पीसकर सुबह-शाम सेवन करने से खूनी दस्त (रक्तातिसार) के रोगी का रोग मिट जाता है
आंव रक्त (पेचिश होने पर) : 10 ग्राम जामुन के रस को प्रतिदिन तीन बार सेवन करने से पेचिश के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
प्रदर रोग : जामुन की ताजी छाल को छाया में सुखाकर कूट-पीस छान लें। इसे 5-5 ग्राम की मात्रा में दूध या पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से प्रदर में आराम मिलता है।
जामुन के पत्ते का रस 10 से 20 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर नष्ट होता है। इसके बीजों का चूर्ण मधुमेह में लाभकारी होता है।
छाया में सुखाई जामुन की छाल का चूरन 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार पानी के साथ लेने से कुछ दिनों में ही श्वेतप्रदर का रोग नष्ट हो जाता है।
अपच : जामुन का सिरका 1 चम्मच को पानी में मिलाकर पीने से अपच में लाभ होता है।
जिगर का रोग : जामुन के पत्तों का रस (अर्क) निकालकर 5 ग्राम की मात्रा में 4-5 दिन सेवन करने से यकृत वृद्धि मिट जाती है।
200-300 ग्राम बढ़िया पके जामुन रोजाना खाली पेट खाने से जिगर की खराबी दूर होती है।
घाव : जामुन की छाल के काढ़े से घाव को धोना फायदेमंद माना गया है।
पथरी : जामुन की गुठलियों को सुखा लें तथा पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। आधा चम्मच चूर्ण पानी के साथ सुबह-शाम लें। इससे गुर्दे की पथरी ठीक हो जाती है।
पका हुआ जामुन खाने से पथरी रोग में आराम होता है। गुठली का चूर्ण दही के साथ खाएं। इससे पथरी नष्ट हो जाती है।
रोज जामुन खाने से गुर्दे की पथरी धीरे-धीरे खत्म होती है।
अम्लपित्त : जामुन के 1 चम्मच रस को थोड़े-से गुड़ के साथ लेने से अम्लपित्त में लाभ मिलता है।
यकृत का बढ़ना : 5 ग्राम की मात्रा में जामुन के कोमल पत्तों का रस निकालकर उसको कुछ दिनों तक पीते रहने से यकृत वृद्धि से छुटकारा मिलता है।
आधा चम्मच जामुन का सिरका पानी में घोलकर देने से यकृत वृद्धि से आराम मिलता है।
प्यास अधिक लगना : जामुन के पत्तों का रस निकालकर 7 से 14 मिलीलीटर पीने से प्यास का अधिक लगना बंद हो जाता है।
जामुन के सूखे पत्तों का काढ़ा बनाकर 14 से 28 मिलीलीटर काढ़े में 5 से 10 ग्राम चीनी मिलाकर दिन में 3 बार पीने से बुखार में प्यास का लगना कम हो जाता है।
जामुन का मीठा गूदा खाने से या उसका रस पीने से अधिक आराम मिलता है।

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