लोणी के फायदे –
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आज हम आपको इस जंगली घास के बारे में बता रहें हैं, ये अक्सर ही खाली पड़ी जमीन में उग आती है, और हम इसको खरपतवार समझ कर फेंक देते हैं. इस जंगली घास को भारतीय भाषा में लोणी, बड़ी लोणा, लोणा शाक, खुरसा, कुलफा, लुनाक, घोल, लोनक इत्यादि नामो से जाना जाता है. English में इसको common Purslane, Kaun Purslane, Pussley, Pigweed कहा जाता है.
यह पुरे भारत में चाहे वो गर्म प्रान्त हो या हिमालय के ठन्डे प्रान्त हो सबमे पायी जाती है.
इसकी जड 25 साल तक नहीं मरती, और बारिश में या पानी मिलने पर दोबारा हरी हो कर फ़ैल जाती है. जो जड 25 सालो तक ख़त्म नहीं होता तो आप सोच सकते हो के इसमें कितनी Immunity होगी. इसकी पत्तियों में ग़ज़ब के स्वास्थ्य लाभ समाये हुयें हैं. इसमें vitamin, iron, calcium, प्रोटीन और मिनरल्स भरपूर हैं. ये हमारी सम्पूर्ण हेल्थ के लिए बहुत ही अच्छा है. यह घास सभी हरी सब्जियों से बढ़कर है, हरी सब्जियों में अगर किसी में Omga 3 फैटी एसिड्स मिलते हैं तो सबसे ज्यादा इसमें ही मिलते हैं. इसके पत्तों में सभी हरी सब्जियों से ज्यादा vitamin A मिलता है, जो के कैंसर जैसे भयंकर रोगों से लड़ने में बहुत सहयोगी है, और omega 3 होने के कारण ये हृदय रोगों से बचाता है. यह घास कैंसर, हृदय, खून की कमी, हड्डियों की मजबूती और यूँ कहे तो सम्पूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ाती है.
इसका स्वाद निम्बू जैसा खट्टा होता है और ये थोड़ी कुरकुरी होती है. आप इसको रेगुलर सलाद में खा सकते हैं. इसका सेवन करने से ये हमारी उर्जा के लेवल को बढ़ा देगी, ताक़त को बढ़ाती है, ये बच्चों के दिमागी विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, ये बच्चों के Autism और ADHD जैसे disorder को होने से रोकती है. आयुर्वेद में इसको सर के रोग, आँखों के रोग, कानो के रोग, मुख रोग, त्वचा रोग, थूक में खून आना, पेट के रोग, मूत्र के रोग, बीमारी और ज़हर उतारने के लिए किया जाता है.
इसकी सलाद, सब्जी या इस पुरे पौधे का काढ़ा बना कर पिया जा सकता है.