महाराणा प्रताप की कीर्ति
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इतिहास के प्रसिद्ध सिसोदिया राजपूत क्षत्रिय वंश के सिरमोर महाराणा प्रताप की कीर्ति सूर्य की भांति पवित्र और उज्ज्वल है । उनका सम्पूर्ण जीवन मायावी , कपटी मुसलमानो से संघर्ष करते हुए बीता । तत्कालीन भारत के इतिहास में महाराणा प्रताप ही ऐसी शख्सियत थे, जिसने अकबर जैसे कपटी, धोखेबाज ओर शक्तिशाली महत्वाकांशी बादशाह को भी नतमस्तक कर दिया ।
हल्दीघाटी के युद्ध मे भी विजय महाराणा प्रताप की ही हुई थी । भगवान राम की तरह वर्षो तक भटकने वाले महाराणा ने हल्दीघाटी के मैदान पर राजपूत क्षत्रियो के नेतृत्व का प्रभाव दिखाते हुए, अकबर के शक्ति घमण्ड को जमीन में गाड़ दिया ।अपने सनातन धर्म की रक्षा के लिए करीब 13 वर्ष तक जंगलो में घूम घूम घूम कर , अपने अदम्य मनोबल के दम पर उन्होंने मुसलमानो को इतना छकाया की सम्पूर्ण विश्व स्तब्ध रह गया ।
महाराणा प्रताप में अप्रतिहत शौर्य , त्याग, बलिदान , निःस्वार्थ कर्तव्य पालन , स्वाभिमान ओर धर्मभक्ति , देशभक्ति की अद्भुत भावना , इस सभी पुरूषोचित गुणों का विलक्षण समवन्य था । साथ ही उनमें अद्भुत आत्मबल की ऐसी विशेषता थी, की जिसके कारण वे अपने समय के सर्वश्रेष्ठ यौद्धा ओर समर्थ शाशक थे ।
निरंतर अभाव झेलते हुए, अंगुलियों पर गिनती के सेनिको के साथ , विशाल मुगल फ़ौज को उन्होंने हल्दीघाटी के मैदान में नाको चने चबवा दिए ।
हल्दीघाटी का युद्ध 8000 महाराणा प्रताप के सैनिकों और 48000 के लगभग मुगल सैनिको के मध्य लड़ा गया । मात्र 4 या 5 घण्टे में ही महाराणा प्रताप की सेना मुगलो पर ऐसे टूट पड़ी, जैसे वर्षो का भूखा शेर हिरण पर झपट पड़ता है, देखते ही देखते मुगल सेना नामशेष होने लगी, कुछ बाकी जो बचे थे, वो अपनी जान बचाकर भागे, 40 मन के भाले के साथ, ओर कभी दोनों हाथों में तलवार लेकर भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की भांति महाराणा प्रताप भी मुस्लिम असुरो का संघार कर रहे थे ।
इतिहास में हमे झूठ पढ़ाया गया कि हल्दीघाटी का युद्ध महाराणा प्रताप हारे थे, सच तो यह है कि हल्दीघाटी के युद्ध के बाद ही महाराणा प्रताप ने अपने कई किलो को वापस जीता था । उस दिन अगर 4 या 5 हजार सैनिक ओर महाराणा के पास होते !! तो अकबर का गला काट के भी दिल्ली या आगरा के किले पर लटका दिया जाता ।। Jai Hind