इस स्कूल में हिंदू-मुस्लिम छात्र एक साथ पढ़ते हैं गीता का श्लोक
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धनबाद में एक ऐसा स्कूल है, जहां हिन्दू-मुस्लिम छात्र एक साथ बैठ कर गीता का श्लोक पढ़ते हैं तो वेद, ज्योतिष, दर्शन और कर्मकांड की भी पढ़ाई करते हैं।
इस स्कूल में पढ़ने वाले मुस्लिम बच्चों को भी शांति पाठ 'सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दु:खभाग भवेत' (अर्थात सभी सुखी हों, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुख का भागी न बनना पड़े) जुबानी याद है। हिंदू छात्रों के साथ चंदा खातून, नूरजहां, यासमीन, रोशनी परवीन, मुराद, इकबाल और मजहर अली जैसे दर्जनों मुस्लिम छात्र-छात्राएं गायत्री मंत्र और संस्कृत के श्लोक का उच्चारण फर्राटे से करते हैं।
कारण यह कि इन बच्चों के साथ इनके अभिभावकों की नजर में धर्म नहीं, ज्ञान मायने रखता है। ये छात्र उन बच्चों को भी स्कूलों में प्रवेश लेने के लिए प्रेरित करते हैं जिन्होंने आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी। यह स्कूल है धनबाद के भिस्तीपाड़ा स्थित राजकीय संस्कृत उच्च विद्यालय,जहां वर्ष 2016 में 23 और वर्ष 2015 में 13 मुस्लिम छात्र संस्कृत भाषा लेकर दसवीं में उत्तीर्ण हुए थे। इस वर्ष स्कूल में प्रवेश लेने वाले कुल 52 छात्रों में एक चौथाई संख्या मुस्लिम बच्चों की है।
यहां पढ़ रही ट्रैक्शन कॉलोनी की दसवीं की छात्रा चंदा खातून तो संस्कृत के जरिए ही आगे की पढ़ाई करना चाहती है तो नूरजहां के लिए संस्कृत सबसे पसंदीदा विषय है। वेद, ज्योतिष, दर्शन और कर्मकांड की भी पढ़ाई करने वाले ये मुस्लिम छात्र उन लोगों को आईना दिखा रहे हैं जो योग को भी धर्म के चश्मे से देखते हैं।
पढ़ाई के साथ काम भी करते हैं ये बच्चे
संस्कृत उच्च विद्यालय में पढ़ने वाले मुस्लिम विद्यार्थियों में मजहर अली, नूरजहां और रोशनी परवीन अपना घर चलाने के लिए दिहाड़ी कार्य भी करते हैं। सुबह-शाम काम करते हैं और दिन में समय से स्कूल पहुंच जाते हैं।
प्रधानाध्यापक की पहल पर मुस्लिम बच्चों का बढ़ा रुझान
2014 में स्कूल के प्रधानाध्यापक डा. गोपाल कृष्ण झा की पोस्टिंग हुई। स्कूल के बगल में ही मस्जिद रोड है। यहां बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी रहती है। प्रधानाध्यापक ने देखा कि मस्जिद रोड के काफी बच्चों ने आठवीं करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी है। इसके बाद वे कई दफा मस्जिद और आसपास के लोगों से मिले और इस बात के लिए राजी कर लिया कि उनके बच्चे स्कूल आएंगे और पढ़ाई करेंगे।
जानिए, किसने क्या कहा
संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। इसलिए संस्कृत पढ़ने का फैसला किया। विश्र्व कल्याण समेत कई श्लोक और मंत्र मुझसे कभी भी सुन सकते हैं। संस्कृत के जरिए ही मैं उपशास्त्री (इंटर), शास्त्री (स्नातक) और आचार्य (परास्नातक) करना चाहती हूं।
- चंदा खातून, दसवीं की छात्रा
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संस्कृत करियर के लिहाज से बहुत ही बढि़या विषय है। इसमें नंबर पूरे मिलते हैं। मेरे परिवार ने कभी भी इस बात पर एतराज नहीं जताया कि मैं स्कूल में गीता पाठ, शांति पाठ और विभिन्न श्लोक का उच्चारण करती हूं।
- नूरजहां, नौवीं की छात्रा
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मध्यमा का सिलेबस ऐसा है कि जिसके जरिए किसी भी क्षेत्र में करियर बनाया जा सकता है। इनमें सिविल सेवा, शिक्षक, वास्तुविद्, ज्योतिष, प्रवचनकर्ता, कर्मकांड प्रमुख हैं।
- डॉ. जीके झा, प्रधानाध्यापक ,राजकीय संस्कृत उच्च विद्यालय, भिस्तीपाड़ा, धनबाद।