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Yatharth Sandesh
17 Aug, 2017(Hindi)
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नाथूराम गोडसे का आखरी बयान ( एक बार जरुर देखें पूरा विडियो)

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गोडसे ने गाँधी के वध करने के १५० कारण न्यायालय के समक्ष बताये थे।

उन्होंने जज से आज्ञा प्राप्त कर ली थी कि वे अपने बयानों को पढ़कर सुनाना चाहते है । अतः उन्होंने वो १५० बयान माइक पर पढ़कर सुनाए। लेकिन कांग्रेस सरकार ने (डर से) नाथूराम गोडसे के गाँधी वध के कारणों पर बैन लगा दिया कि वे बयां भारत की जनता के समक्ष न पहुँच पायें। गोडसे के उन बयानों में से कुछ बयान क्रमबद्ध रूप में, में लगभग १० भागों में आपके समक्ष प्रस्तुत करूंगा। आप स्वं ही विचार कर सकते है कि गोडसे के बयानों पर नेहरू ने क्यो रोक लगाई ?और गाँधी वध उचित था या अनुचित। अनुच्छेद, १५ व १६….

..”इस बात को तो मै सदा बिना छिपाए कहता रहा हूँ कि में गाँधी जी के सिद्धांतों के विरोधी सिद्धांतों का प्रचार कर रहा हूँ। मेरा यह पूर्ण विशवास रहा है कि अहिंसा का अत्यधिक प्रचार हिदू जाति को अत्यन्त निर्बल बना देगा और अंत में यह जाति ऐसी भी नही रहेगी कि वह दूसरी जातियों से ,विशेषकर मुसलमानों के अत्त्याचारों का प्रतिरोध कर सके।”

—“हम लोग गाँधी जी कि अहिंसा के ही विरोधी ही नही थे,प्रत्युत इस बात के अधिक विरोधी थे कि गाँधी जी अपने कार्यों व विचारों में मुसलमानों का अनुचित पक्ष लेते थे और उनके सिद्धांतों व कार्यों से हिंदू जाति कि अधिकाधिक हानि हो रही थी।” —–





अनुच्छेद, ६९ ..

…..”३२ वर्ष से गाँधी जी मुसलमानों के पक्ष में जो कार्य कर रहे थे और अंत में उन्होंने जो पाकिस्तान को ५५ करोड़ रुपया दिलाने के लिए अनशन करने का निश्चय किया ,इन बातों ने मुझे विवश किया कि गाँधी जी को समाप्त कर देना चाहिए। “— अनुच्छेद,७०..भाग ख ..”खिलाफत आन्दोलन जब असफल हो गया तो मुसलमानों को बहुत निराशा हुई और अपना क्रोध उन्होंने हिन्दुओं पर उतारा।

–“मालाबार,पंजाब,बंगाल ,

सीमाप्रांत में हिन्दुओं पर अत्यधिक अत्याचार हुए। जिसको मोपला विद्रोह के नाम से पुकारा जाता है। उसमे हिन्दुओं कि धन, संपत्ति व जीवन पर सबसे बड़ा आक्रमण हुआ। हिन्दुओं को बलपूर्वक मुसलमान बनाया गया,स्त्रियों के अपमान हुए। गाँधी जी अपनी निति के कारण इसके उत्तरदायी थे,मौन रहे।”-

—-“प्रत्युत यह कहना शुरू कर दिया कि मालाबार में हिन्दुओं को मुस्लमान नही बनाया गया।यद्यपि उनके मुस्लिम मित्रों ने ये स्वीकार किया कि मुसलमान बनाने कि सैकडो घटनाएं हुई है।

-और उल्टे मोपला मुसलमानों के लिए फंड शुरू कर दिया। “———

गाँधी वध क्यों? …जानिए …..पार्ट-3

जैसा की पिछले भाग में बताया गया है कि गोडसे गाँधी की मुस्लिम तुस्टीकरण की निति से किस प्रकार छुब्द था अब उससे आगे के बयान

अनुच्छेद ७० का भाग ग …जब खिलाफत आन्दोलन असफल हो गया – –इस ध्येय के लिए

गाँधी अली भाइयों ने गुप्त से अफगानिस्तान के अमीर को भारत पर हमला करने का निमंत्रण दिया.इस षड़यंत्र के पीछे बहुत बड़ा इतिहास है।

-गाँधी जी के एक लेख का अंश नीचे दिया जा रहा है….”मै नही समझता कि जैसे ख़बर फैली है,अली

भाइयों को क्यो जेल मे डाला जाएगा और मै आजाद रहूँगा?उन्होंने ऐसा कोई कार्य नही किया है कि जो मे न करू। यदि उन्होंने अमीर अफगानिस्तान को आक्रमण के लिए संदेश भेजा है,तो मै भी उसके पास संदेश भेज दूँगा कि जब वो

भारत आयेंगे तो जहाँ तक मेरा बस चलेगा एक भी भारतवासी उनको हिंद से बहार निकालने में सरकार कि सहायता नही करेगा।”

गाँधी वध क्यों? …जानिए …..पार्ट-4

अनुच्छेद ७० का भाग ठ..हिन्द के विरूद्ध हिदुस्तानी –राष्ट्र भाषा के प्रश्न पर गाँधी जी ने मुसलमानों का जिस प्रकार अनुचित पक्षलिया—-किसी भी द्रष्टि से देखा जाय तो राष्ट्रभाषा बनने का अधिकार हिन्दी को है। परंतु मुसलमानों खुश करने के लिए वे हिन्दुस्तानी का प्रचार करने लगे-यानि बादशाह राम व बेगम सीता जैसे शब्दों का प्रयोग होने लगा। —हिन्दु स्तानी के रूप में स्कूलों में पढ़ाई जाने लगी इससे कोई लाभ नही था ,प्रत्युत इसलिए की मुस्लमान खुश हो सके। इससे अधिक सांप्रदायिक अत्याचार और क्या होगा?

अनुच्छेद ७० का भाग ड.—न गाओ वन्देमातरम कितनी लज्जा जनक बात है की मुस्लमान वन्देमातरम पसंद नही

करते। गाँधी जी पर जहाँ तक हो सका उसे बंद करा दिया। अनुच्छेद ७० का भाग ढ .

गाँधी ने शिवबवनी पर रोक लगवा दी —-शिवबवन

५२ छंदों का एक संग्रह है,जिसमे शिवाजी महाराज की प्रशंसा की गई है.-इसमे एक छंद में कहा गया है की अगर शिवाजी न होते तो सारा देश मुस्लमान हो जाता। -इतिहास और हिंदू धर्म के दमन के अतिरिक्त उनके सामने कोई सरल मार्ग न था।

गाँधी वध क्यों? …जानिए …..पार्ट-5

अनुच्छेद ७० का भाग फ

….कश्मीर के विषय में गाँधी हमेशा ये कहते रहे की सत्ता शेख अब्दुल्ला को सौप दी जाय, केवल इसलिए की कश्मीर में मुसाल्मान अधिक है। इसलिए गाँधी जी का मत था की महाराज हरी सिंह को सन्यास लेकर काशी चले जन चाहिए,परन्तु हैदराबाद के विषय में गाँधी की निति भिन्न थी। यद्यपि वहां हिन्दुओं की जनसँख्या अधिक थी ,परन्तु गाँधी जी ने कभी नही कहा की निजाम फकीरी लेकर मक्का चला जाय।

अनुच्छेद ७० का भाग म …………………………

कोंग्रेस ने गाँधी जी को सम्मान देने के लिए चरखे वाले झंडे को राष्ट्रिय ध्वज बनाया। प्रत्येक अधिवेशन में प्रचुर मात्रा में ये झंडे लगाये जाते थे.

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-इस झंडे के साथ कोंग्रेस का अति घनिष्ट समबन्ध था। नोआखली के १९४६ के दंगों के बाद वह ध्वज गाँधी जी की कुटिया पर भी लहरा रहा था, परन्तु जब एक मुस्लमान को ध्वज के लहराने से आपत्ति हुई तो गाँधी ने तत्काल उसे उतरवा दिया। इस प्रकार लाखों करोडो देशवासियों की इस ध्वज के प्रति श्रद्धा को अपमानित किया। केवल इसलिए की ध्वज को उतरने से एक मुस्लमान खुश होता था।

गाँधी वध क्यों? …जानिए …..पार्ट-6

अनुच्छेद ७८ …………………….गाँधी

जी —————————–सुभाषचंद्र बोस अध्यक्ष पद पर रहते हुए गाँधी जी की निति पर नही चले। फ़िर भी वे इतने लोकप्रिय हुए की गाँधी जी की इच्छा के विपरीत पत्ताभी सीतारमैया के विरोध में प्रबल बहुमत से चुने गए ————————गाँधी जी को दुःख हुआ.उन्होंने कहा की सुभाष की जीत गाँधी की हार है। —————–जिस समय तक सुभाष बोस को कोंग्रेस की गद्दी से नही उतरा गया तब तक गाँधी का क्रोध शांत नही हुआ।

अनुच्छेद ८५ …………………..मुस्लिम

लीग देश की शान्ति को भंग कर रही थी। और हिन्दुओं पर अत्याचार कर रही थी। ——————-कोंग्रेस इन अत्याचारों को रोकने के लिए कुछ भी नही करना चाहती थी,क्यो की वह मुसलमानों को प्रसन्न रखना चाहती थी। गाँधी जी जिस बात को अपने अनुकूल नही पते थे ,उसे दबा देते थे। इसलिए मुझे यह सुनकर आश्चर्य होता है की आजादी गाँधी जी ने प्राप्त की । मेरा विचार है की मुसलमानों के आगे झुकना आजादी के लिए लडाई नही थी।——————गाँधी व उनके साथी सुभाष को नष्ट करना चाहते थे।

गाँधी वध क्यों? …जानिए …..पार्ट-7 एवं इति

अनुच्छेद ८८ .गाँधी जी के हिंदू मुस्लिम एकता का सिद्धांत तो उसी समय नष्ट हो गया, जिस समय पाकिस्तान बना। प्रारम्भ से ही मुस्लिम लीग का मत था की भारत एक देश नही है।

हिंदू तो गाँधी के परामर्श पर चलते रहे किंतु मुसलमानों ने गाँधी की तरफ़ ध्यान नही दिया और अपने व्यवहार से वे सदा हिन्दुओं का अपमान और अहित करते रहे और अंत में देश दो टुकडों में बँट गया।
दी गई तस्वीर असली नाथूराम गोडसे जी कि नहीं हैं सिर्फ फोटो में दिए गए सन्देश कि महत्वता पर ध्यान दे तस्वीर सिर्फ संकेतात्मक हैं

1. अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ गोली काण्ड (1919) से समस्त देशवासी आक्रोश में थे तथा चाहते थे कि इस नरसंहार के नायक जनरल डायर पर अभियोग चलाया जाए। गान्धी जी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन देने से मना कर दिया। इसके बाद जब उधम सिंह ने जर्नल डायर की हत्या इंग्लैण्ड में की तो, गाँधी ने उधम सिंह को एक पागल उन्मादी व्यक्ति कहा, और उन्होंने अंग्रेजों से आग्रह किया की इस हत्या के बाद उनके राजनातिक संबंधों में कोई समस्या नहीं आनी चाहिए |

2. भगत सिंह व उसके साथियों के मृत्युदण्ड के निर्णय से सारा देश क्षुब्ध था व गान्धी जी की ओर देख रहा था कि वह हस्तक्षेप कर इन देशभक्तों को मृत्यु से बचाएं, किन्तु गान्धी जी ने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए जनसामान्य की इस माँग को अस्वीकार कर दिया। क्या आश्चर्य कि आज भी भगत सिंह वे अन्य क्रान्तिकारियों को आतंकवादी कहा जाता है।

3. 6 मई 1946 को समाजवादी कार्यकर्ताओं को अपने सम्बोधन में गान्धी जी ने मुस्लिम लीग की हिंसा के समक्ष अपनी आहुति देने की प्रेरणा दी।

4. मोहम्मद अली जिन्ना आदि राष्ट्रवादी मुस्लिम नेताओं के विरोध को अनदेखा करते हुए 1921 में गान्धी जी ने खिलाफ़त आन्दोलन को समर्थन देने की घोषणा की। तो भी केरल के मोपला मुसलमानों द्वारा वहाँ के हिन्दुओं की मारकाट की जिसमें लगभग 1500 हिन्दु मारे गए व 2000 से अधिक को मुसलमान बना लिया गया। गान्धी जी ने इस हिंसा का विरोध नहीं किया, वरन् खुदा के बहादुर बन्दों की बहादुरी के रूप में वर्णन किया।

5. 1926 में आर्य समाज द्वारा चलाए गए शुद्धि आन्दोलन में लगे स्वामी श्रद्धानन्द की अब्दुल रशीद नामक मुस्लिम युवक ने हत्या कर दी, इसकी प्रतिक्रियास्वरूप गान्धी जी ने अब्दुल रशीद को अपना भाई कह कर उसके इस कृत्य को उचित ठहराया व शुद्धि आन्दोलन को अनर्गल राष्ट्र-विरोधी तथा हिन्दु-मुस्लिम एकता के लिए अहितकारी घोषित किया।

6. गान्धी जी ने अनेक अवसरों पर छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू गोविन्द सिंह जी को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा।

7. गान्धी जी ने जहाँ एक ओर कश्मीर के हिन्दु राजा हरि सिंह को कश्मीर मुस्लिम बहुल होने से शासन छोड़ने व काशी जाकर प्रायश्चित करने का परामर्श दिया, वहीं दूसरी ओर हैदराबाद के निज़ाम के शासन का हिन्दु बहुल
हैदराबाद में समर्थन किया।

8. यह गान्धी जी ही थे, जिसने मोहम्मद अली जिन्ना को कायदे-आज़म की उपाधि दी।

9. कॉंग्रेस के ध्वज निर्धारण के लिए बनी समिति (1931) ने सर्वसम्मति से चरखा अंकित भगवा वस्त्र पर निर्णय लिया किन्तु गाँधी जी कि जिद के कारण उसे तिरंगा कर दिया गया।

10. कॉंग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को बहुमत से कॉंग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु गान्धी जी पट्टभि सीतारमय्या का समर्थन कर रहे थे, अत: सुभाष बाबू ने निरन्तर विरोध व असहयोग के कारण
पदत्याग कर दिया।
11. लाहोर कॉंग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से चुनाव सम्पन्न हुआ किन्तु गान्धी जी की जिद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को दिया गया।
12. 14-15 जून 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कॉंग्रेस समिति की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, किन्तु गान्धी जी ने वहाँ पहुंच प्रस्ताव का समर्थन करवाया। यह भी तब जबकि उन्होंने स्वयं ही यह कहा था कि देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा।
13. मोहम्मद अली जिन्ना ने गान्धी जी से विभाजन के समय हिन्दु मुस्लिम जनसँख्या की सम्पूर्ण अदला बदली का आग्रह किया था जिसे गान्धी ने अस्वीकार कर दिया।
14. जवाहरलाल की अध्यक्षता में मन्त्रीमण्डल ने सोमनाथ मन्दिर का सरकारी व्यय पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया, किन्तु गान्धी जो कि
मन्त्रीमण्डल के सदस्य भी नहीं थे ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव को निरस्त करवाया और 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला।
15. पाकिस्तान से आए विस्थापित हिन्दुओं ने दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब अस्थाई शरण ली तो गान्धी जी ने उन उजड़े हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध, स्त्रियाँ व बालक अधिक थे मस्जिदों से से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर किया गया।
16. 22 अक्तूबर 1947 को पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया, उससे पूर्व माउँटबैटन ने भारत सरकार से पाकिस्तान सरकार को 55 करोड़ रुपए की राशि देने का परामर्श दिया था। केन्द्रीय मन्त्रीमण्डल ने आक्रमण को देखते हुए, यह राशि देने को टालने का निर्णय लिया किन्तु गान्धी जी ने उसी समय यह राशि तुरन्त दिलवाने के लिए आमरण अनशन किया- फलस्वरूप यह राशि पाकिस्तान को भारत के हितों के विपरीत दे दी गयी। उपरोक्त परिस्थितियों में नथूराम गोडसे नामक एक युवक ने गान्धी का वध कर दिया। न्यायलय में गोडसे को मृत्युदण्ड मिला किन्तु गोडसे ने न्यायालय में अपने कृत्य का जो स्पष्टीकरण दिया उससे प्रभावित होकर न्यायधीश श्री जे. डी. खोसला ने अपनी एक पुस्तक में लिखा- “नथूराम का अभिभाषण दर्शकों के लिए एक आकर्षक दृश्य था। खचाखच भरा न्यायालय इतना भावाकुल हुआ कि लोगों की आहें और सिसकियाँ सुनने में आती थीं और उनके गीले नेत्र और गिरने वाले आँसू दृष्टिगोचर होते थे। न्यायालय में उपस्थित उन मौजूद आम लोगों को यदि न्यायदान का कार्य सौंपा जाता तो मुझे तनिक भी संदेह नहीं कि उन्होंने अधिकाधिक सँख्या में यह घोषित किया होता कि नथूराम निर्दोष है।”
NATHURAM GODSE LAST SPEECH : Almost Last words Spoken by Nathuram godse Banned by Indian Govt. Translation of monologue in English by a fan: 1. I was born in a Brahmin family and that’s why I was attached to Hindu Dharma. After studying the Hindu Dharma deeply, I felt proud to be a Hindu. I have always fought against casteism and other such orthodox practices, be it in any religion. Dadabhai, Vivekananda, Gokhle, I have have read them all in depth, but If I have read anybody most deeply, it is Gandhi.

I had learnt only one thing from my childhood, that I am a Hindu, that I have to fight for the improvement of the society. I have to fight for 20 crores… 30 crores Hindus. Congress was fully under control of Gandhi and his motto of “Non-violence”. Any intelligent person could have fallen to the lure of “Non-violence”. But Gandhi was not giving any new concept. Humanity always takes the side of non-violence.

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But I can’t agree that violence is a sin. Rama had killed Ravana. Krishna had killed Kansa. There was violence in Mahabharata against atrocities. I have firm belief that they wouldn’t have regretted any of that violence. Even in recent history, Shivaji had fought, to oust Afzal Khan. Guru Gobind Singh, Ranapratap, they all had fought. Everyone was proud. Nobody had done anything wrong.

But no, for Gandhi, violence was a sin. Gandhi had become so enchanted with non-violence that (unwillingly) his stance caused more violence. Gandhi was responsible for all the problems being faced by the country. He alone was responsible. For the last 32 years Gandhi supported Muslims only. I couldn’t tolerate that and hence I decided that he will have to depart. If his wish was not carried out, he used to sit on a fast.

Whole Congress and all of India then had to bend to his wishes. Gandhi believed that Satyagraha could never lose. When to start Satyagraha and when to finish it, this was known to him only. The definition of Satyagraha was also known to nobody but Gandhi. Nobody really understood what Satyagraha was. But nobody went against Gandhi Nobody. Gandhi himself was the judge as well as the court. Gandhi alone was responsible for all the problems being faced by the nation.

Gandhi alone. “Fasting” was an efficient weapon for him, very efficient.
Influence of the Muslim League had grown in spells and bounds from Karachi to Bengal. Millions of Hindus were being slaughtered. Gandhi never sat on a fast for them. Never. But how can I forget that he sat on a fast when a few Hindu refugees had taken shelter in a Delhi Mosque?

Only because they were Hindus seeking refuge in a mosque? Gandhi never sat on a fast for the Hindus. How can i forget that? Gandhi knew that Hindi was our national language, he himself advertised it. The Muslims did not like this and they opposed it. They proposed instead that the national language be called ‘Hindustani’. (laughs sarcastically) But there is no word called ‘Hindustani’ in the Hindi dictionary. But Gandhi accepted that too. Gandhi understood that what he was doing was wrong He was doing wrong to the Hindus repeatedly. I could not be just a bystander to this.

Congress. Congress used to call itself a nationalist party. Muslim League had already brought down the government once and the Congress had understood that formation of Pakistan was inevitable. Jinnah had brought down Congress to its knees. 30th June, 1948 was the day when we were to get independent. Ten months earlier. Ten months earlier. Ten months earlier, on the day of one third of the country was made a foreign land.

I could not tolerate that, simply could not. Sir Lord Viceroy Mountbatten became the greatest Viceroy in the eyes of the Congress. Even though he removed a third of the country, people call him the greatest viceroy. I could not tolerate that either. So this is what Gandhi had achieved in the last thirty years! Divided the country! The decision was signed upon in presence of Nehru. Gandhi was responsible for d I know what I have done. I know that I have destroyed my present.

I understand that I have destroyed my future too. People will abuse me for all eternity. Don’t be sympathetic to me. I have no guilt, no regret because I believe that Gandhi is not the father of my nation. He gave birth to Pakistan. He is the father of Pakistan. Any person, any figure, even Gandhi, can’t be larger than the nation. Can’t be(Shakes his head).
End of monologue.
ivision of the country 15th August 1947

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