मुहम्मद साहब ने जिसे धर्म बताया , उधर किसी का ध्यान ही नहीं है |
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मुहम्मद साहब ने जिसे धर्म बताया , उधर किसी का ध्यान ही नहीं है | उन्होंने कहा कि जिस पुरुष का एक भी स्वास् उस खुदा के नाम के बगैर खाली जाता है , उससे खुदा कयामत में वैसे ही पूछता है , जैसे किसी पापी से पाप के बदले में पूछा जाए | जिसकी सजा है हमेशा हमेशा के लिए दोजख | कितने सच्चे मुसलमान हैं , जिनका एक भी श्वास खाली न जाता हो ? करोड़ों में कदाचित ही कोई हो | शेष तो सभी के स्वाश खाली ही जाते हैं , जिसकी सजा वही है जो पापियों के लिए | बताने की आवश्यकता नहीं ,दोजख | मोहम्मद ने व्यवस्था दी कि जो किसी को नहीं सताता , पशुओं को ठेस नहीं पहुंचाता , वह आकाश से खुदा की आवाज सुनता है | यह सभी स्थानों के लिए था : किंतु पीछे वालों ने एक रास्ता निकाल लिया कि मक्का में एक मस्जिद है , जिसमें हरी घास नहीं तोड़नी चाहिए , उस मस्जिद में किसी पशु को नहीं मारना चाहिए , वहां किसी को ठेस नहीं पहुंचाना चाहिए , और घूम फिर कर भी उसी दायरे में खड़े हो गए | क्या खुदा की आवाज सुनने से पहले मोहम्मद ने कोई मस्जिद बनवाई थी ? क्या कभी किसी मस्जिद में कोई आयत उतरी ? यह मस्जिद तो उनकी स्थली रही है , जिसमें उनकी यादगार सुरक्षित है |
मोहम्मद के आशय को तबरेज ने जाना था , मंजूर ने जाना था , इकबाल ने जाना था ; किंतु वह मजहबी लोगों की शिकार बने ,उन्हें यातनाएं दी गई | सुकरात को जहर पिलाया गया ; क्या क्योंकि वह लोगों को नास्तिक बना रहा था | ऐसा ही आरोपी ईशा पर भी लगाया गया , उन्हें सूली दी गई ; क्योंकि भी विश्रांम सव्वाथ के दिन भी काम करते थे , अंधों को दृष्टि प्रदान करते थे |
ऐसे ही भारत में भी है | जब कोई प्रत्यक्षदर्शी महापुरुष सत्य की ओर इंगित करता है तो इन मंदिर ,मस्जिद, मठ संप्रदाय और तीर्थों से जिनकी जीविका चलती है , हाय हाय करने लगते हैं , अधर्म-अधर्म चिल्लाने लगते हैं | किसी को इनसे लाखों करोड़ों की आय हैं , किसी की दाल रोटी ही चलती है | वास्तविकता के प्रचार से उनकी जीविका को खतरा दिखाई पड़ता है | वे सत्य को पनपने नहीं देते और ना दे सकते हैं | इसके अतिरिक्त उनके विरोध का कोई कारण नहीं है | सुदूर काल में यह स्मृति क्यों सँजोई गयी थी , इसका उन्हें भान नहीं है
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