असम सरकार का ऐतिहासिक कानून : माता-पिता की देखभाल नहीं की तो कटेगी सैलरी
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असम की भाजपा सरकार ने ऐतिहासिक कानून बनाया है जिसके तहत बुजुर्ग माता-पिता की जिम्मेदारी उठाने से भागने वाले सरकारी कर्मचारियों की सैलरी से पैसे काटे जाएंगे। असम विधानसभा ने शुक्रवार को इस ऐतिहासिक बिल को पास किया। पहली बार किसी सरकार ने बुजुर्गों के हितों के लिए इस तरह का कानून बनाया है, इसलिए असम सरकार निश्चित ही अभिनंदन के लिए पात्र है । सभी राज्य सरकार, केंद्र सरकार एवं सभी आस्थापनों में इस प्रकार का नियम होना चाहिए ।
कानून के मुताबिक अगर राज्य सरकार का कोई कर्मचारी अपने माता-पिता की जिम्मेदारी उठाने से भागता है तो सरकार उसकी सैलरी का १० प्रतिशत हिस्सा काट लेगी और उसे मां-बाप के खाते में ट्रांसफर कर देगी। अगर कर्मचारी का कोई भाई या बहन दिव्यांग है तो उसकी सैलरी से ५ प्रतिशत अतिरिक्त कटौती होगी।
माता-पिता को भगवान का स्वरूप ही नहीं, अपितु भगवान माननेवाले भारत में इस प्रकार का कानून लाने की आवश्यकता पड रही है यह बहुत ही शर्मनाक बात है । आज नैतिक अध:पतन तथा पाश्चिमात्त्यों के अत्यधिक प्रभाव के कारण यह स्थिती उत्पन्न हुर्इ है । इस दु:स्थिती को बदलने हेतु सभी को धर्मशिक्षा देना यह समय की आवश्यकता बन चुकी है ।