वैदिक ब्राह्मणों को अल्पसंख्यक दर्जा देने के प्रस्ताव पर नरेंद्र मोदी सरकार और अल्पसंख्यक आयोग के बीच टकराव
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केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार वैदिक ब्राह्माणों को अल्पसंख्यक का दर्जा देने पर विचार कर रही है। परंतु राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने केन्द्र के इस कदम का विरोध करते हुए कहा है कि, ऐसा कोई भी कदम मौजूदा अल्पसंख्यकों के हितों के विरोध में होगा ! केन्द्र सरकार ने अल्पसंख्यक आयोग को कहा था कि वो इस प्रस्ताव पर विचार करे और वैदिक ब्राह्मणों को अल्पसंख्यकों का दर्जा देने की सिफारिश करे।
वर्ष २०१६-१७ की रिपोर्ट में अल्पसंख्यक आयोग ने कहा है कि, वैदिक ब्राह्मणों को अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं दिया जा सकता है क्योंकि वे हिन्दू धर्म के अभिन्न अंग हैं। हालांकि कमीशन ने इस बारे में अंतिम निर्णय केन्द्र सरकार पर छोड़ दिया है।
अल्पसंख्यक आयोग का कहना है कि, यदि सरकार ब्राह्मण महासभा या फिर अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा की मांग पर वैदिक ब्रह्माणों को अल्पसंख्यक का दर्जा दे देती है तो इसी तरह की मांग राजपूत, वैश्य और दूसरे हिन्दू जातियों की आेर से भी उठ सकती है। इसलिए ब्रह्माणों को अल्पसंख्यक दर्जा देना सही नहीं है।
बता दें कि, केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक कानून १९९२ के तहत राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की है। भारत में ६ धार्मिक समुदायों को अल्पसंख्यकों का दर्जा प्राप्त है इनमें, मुस्लिम, क्रिश्चयन, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी शामिल है। पिछले कुछ दिनों से हिन्दू समुदाय की कई जातियां भी अपनी पौराणिक अस्मिता और पहचान के आधार पर अल्पसंख्यक दर्जे की मांग कर रही है। अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के लिए केन्द्र और राज्य सरकारें कई योजनाएं और योजनाएं चलाती है और उनकी धार्मिक, सामाजिक पहचान की रक्षा करती हैं।
स्त्रोत : जनसत्ता