मनमोहन सिंह के इमाम बुखारी को दिए आश्वासन पर देहली उच्च न्यायालय ने मांगा जवाब
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नई देहली : देहली की जामा मस्जिद के शाही इमाम को अक्टूबर २००४ में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से दिए गए व्यक्तिगत आश्वासन पर देहली उच्च न्यायालय ने सवाल उठाया है। वह आश्वासन मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित नहीं करने के बारे में दिया गया था। केंद्र सरकार की अनुमति के बिना एक संरक्षित इमारत का उपयोग मीटिंग, रिसेप्शन, कॉन्फ्रेंस या मनोरंजक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए नहीं किया जा सकता !
आश्वासन देने का कारण जानना चाहता है उच्च न्यायालय
उच्च न्यायालय इस मसले में यह जानना चाहता है कि, पूर्व प्रधानमंत्री ने किन कारणों से शाही इमाम को इस तरह का पत्र लिखकर आश्वासन दिया और यूपीए-१ की सरकार ने किन कारणों से फैसला लिया कि मस्जिद को संरक्षित इमारत घोषित नहीं किया जाएगा ? न्यायालय ने निर्देश दिया कि मंत्रालय मामले से जुड़े सभी मौलिक दस्तावेज उपलब्ध कराएं। देहली उच्च न्यायालय की ओर से पारित इस आदेश में पूर्व प्रधानमंत्री की ओर से शाही इमाम को लिखे गए पत्र का उल्लेख है !
शाही इमाम ने २००४ में की थी में कांग्रेस के समर्थन की घोषणा
सूत्रों के अनुसार, न्यायालय ने यह निर्देश सुहैल अहमद खान की ओर से दाखिल की गई याचिका पर दोबारा शुरू हुई सुनवाई के दौरान दिए। खान की मांग है कि, मस्जिद को संरक्षित इमारत घोषित किया जाए। मनमोहन सिंहद्वारा २० अक्टूबर, २००४ को लिखे पत्र का उल्लेख करते हुए याचिकाकर्ता के वकील देविंदर पाल सिंह ने कहा कि, पूर्व प्रधानमंत्री का पत्र इस बात का सीधा सबूत है कि, कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में शाही इमाम के समर्थन की कीमत चुकाई। जामा मस्जिद के शाही इमाम ने २००४ के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के समर्थन की घोषणा की थी !
स्त्रोत : पंजाब केसरी