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Yatharth Sandesh
07 Oct, 2017(Hindi)
Herbs & Plants

जौ शीतल व ठण्डा होता है।जौ एक अनाज है। यह अनाज के रुप में फायदेमंद होने के साथ-साथ इसका पानी भी हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। यह कई बीमारियों से जहां निजात दिलाता है

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जौ की एक जंगली जाति भी होती है। उस जाति के जौ का उपयोग- यूरोप, अमेरिका, चीन, जापान आदि देशों में औषधियां बनाने के लिए होता है। जौ को भूनकर, पीसकर, उस आटे में थोड़ा-सा नमक और पानी मिलाने पर सत्तू बनता है। कुछ लोग सत्तू में नमक के स्थान पर गुड़ डालते हैं व सत्तू में घी और शक्कर मिलाकर भी खाया जाता है। जौ बीमार लोगों के लिए उत्तम पथ्य है। जौ में से लेक्टिक एसिड, सैलिसिलिक एसिड, फास्फोरिक एसिड, पोटैशियम और कैल्शियम उपलब्ध होता है। जौ में अल्पमात्रा में कैरोटिन भी है। सुप्रसिद्ध मलटाइन काडलीवर नामक दवा में जौ का उपयोग होता है।
आज के समय में हर कोई अनियमित खानापान और खराब दिनचर्या के कारण सेहत संबंधी समस्याओं से होकर गुजरता है। अगर थोड़ा सा भी खुद का ख्याल रखें तो कई समस्याओं से छुटकारा पा सकते है। हमारे आसप-पास दवाओं को छोड़कर कई ऐसी चीजें पाई जाती है। जिसका सेवन करने से बीमारी मीलों दूर रहती है। इन्हीं में से एक है जौ। जो हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद है।
जौ में भरपूर मात्रा में विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैगनीज, सेलेनियम, जिंक, कॉपर, प्रोटीन, अमीनो एसिड, डायट्री फाइबर्स सहित कई तरह के एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। जो कि हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद है।
जौ एक अनाज है। यह अनाज के रुप में फायदेमंद होने के साथ-साथ इसका पानी भी हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। यह कई बीमारियों से जहां निजात दिलाता है वहीं कई बीमारियों के होने का खतरा भी बहुत कम हो जाता है।
ऐसे तैयार करें जौ का पानी :

जौ का पानी तैयार करने के लिए कुछ मात्रा में जौ ले लीजिए और उसे अच्छी तरह साफ कर लीजिए। उसके बाद इसे करीब चार घंटे तक पानी में भिंगोकर छोड़ दीजिए। फिर इस पानी को तीन से चार कप पानी में मिलाकर धीमी आंच में कम से कम 45 मिनट उबालें। इसके बाद गैस बंद कर दें और इसे ठंडा होने दे।जब यह ठंडा हो जाएं तो इसे एक बोतल में भरकर इसे पीते रहें।


जानिए जौ को अनाज रुप में खाने के साथ-साथ इसका पानी पीने के है 6 फायदे :

करें यूरीन की समस्या दूर : अगर आपको यूरिन संबंधी किसी भी प्रकार की समस्या है, तो जौ के पानी का सेवन करना फायदेमंद साबित हो सकता है।
पैरों की सूजन से दिलाएं निजात : गर्भावस्था के दौरान महिला के पैरों में सूजन हो जाती है, ऐसे में सूजन को कम करने के लिए महिला को जौ का पानी पीने के लिए दें।
वजन कें कम : इसमें ऐसे तत्व पाएं जाते है। जिसका सेवन करने से मेटाबॉलिज्म बढ़ते है। जो कि मोटापा कम कर सकता है। जिससे कि आप स्लिम हो जाएंगे।।
दिल संबंधी बीमारी से दिलाएं निजात : इसमें पाया जाने वाले तत्व कोलेस्ट्राल के लेवल को ठीक रहता है। जिसके कारण आपको दिल संबंधी किसी भी तरह की बीमारी नहीं होगी। दिल की बीमारी होने का मुख्य कारण कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होना होता है।
इम्यूनिटी सिस्टम को रखे मजबूत : इसमें ऐसे तत्व पाए जाते है। जो कि आपके शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकाल देता है। जिससे कि आपका इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत हो जाता है। साथ ही आपकी स्किन में निखार भी आता है।
पेट की जलन को करें दूर : गर्मियों के मौसम में इसे पीने से ठंड़क मिलती है। अगर आपने तेज मसालेदार खाना खाया है जिसके कारण आपको पेट में जलन हो रही हो तो इसे दूर करने के लिए आप जौ के पानी का सेवन करें।
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जानिए जौ को अनाज रुप में खाने के 25 अद्भुत फ़ायदे :

. हाथों का खुरदरापन: जौ के आटे में थोड़ा सा पानी मिलाकर उसे हाथों पर मलने से लाभ होता है।
2. रंग को निखारना:
1 मुट्ठी छने हुए जौ के आटे को एक पतले से कपड़े में बांधकर पोटली बना लें फिर उस पोटली को कच्चे दूध में भिगोकर हफ्ते में कम से कम 3 बार नहाते समय शरीर पर रगड़ने से धीरे-धीरे त्वचा का सांवलापन दूर हो जाता है।
जौ का आटा, पिसी हुई हल्दी और सरसों के तेल को पानी में मिलाकर लेप बना लें। रोजाना शरीर में इसका लेप करके गर्म पानी से नहाने से काले रंग वाले लोगों का रंग गोरा होने लगता है।
3. जलने पर:
जौ के सत्तू को शरीर पर मलने से जलन मिट जाती है।
शरीर के किसी भाग के जल जाने पर जौ को बारीक पीसकर तिल के तेल में मिलाकर लगाने से लाभ होता है।
4. त्वचा का मुलायम होना: आधा कप जौ का आटा और 1 चम्मच मलाई में आधा नींबू निचोड़ लें और ऊपर से थोड़ा सा पानी डालकर घोल बना लें। इस घोल को चेहरे पर 15 मिनट के लिए लेप करके छोड़ दें और फिर चेहरा धो लें। ऐसा रोजाना करने से चेहरे पर चमक आ जायेगी और चेहरा बहुत ही खूबसूरत लगेगा।
5. गले की सूजन: सुबह के समय कच्चे जौ चबाकर खाने से भी गला खुल जाता है।
6. बच्चों की चिकित्सा: अच्छा खाना मिलने के बावजूद भी जो बच्चा सूखता चला जा रहा हो, कमजोर होता चला जा रहा हो, बार-बार खाना खाने के बाद भी भूख ही भूख चिल्ला रहा हो तो उसको बिदारीकन्द, गेहूं, जौ का आटा और घी मिलाकर खिलाना चाहिए तथा ऊपर से शहद और मिश्री के साथ दूध पिलाना चाहिए। अगर कच्चा दूध नुकसान करे तो दूध गर्म करके ठण्डा होने पर उसमें शहद और मिश्री मिलाकर पिलाना चाहिए।
7. शरीर में सूजन: लगभग एक लीटर पानी में एक कप जौ को उबालकर इस पानी को ठण्डा करके पीने से शरीर की सूजन खत्म हो जाती है।
8. अम्लपित्त:
जौ का जूस या मांड शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता हैं।
तुष रहित जौ और अडूसा को मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में दालचीनी, तेजपात, इलायची का चूर्ण और शहद मिलाकर पीने से अम्लपित्त से होने वाली उल्टी तुरन्त दूर हो जाती है।
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9. लू का लगना: रोगी के शरीर पर जौ के आटे का लेप (उबटन) मलने से लाभ मिलता है।
10. दमा, श्वास रोग: दमा में 6 ग्राम जौ की राख और 6 ग्राम मिश्री दोनों को पीसकर सुबह-शाम गरम पानी से फंकी लेने से दमा (श्वास रोग) नष्ट हो जाता है।
11. मधुमेह का रोग:
जौ का आटा 50 ग्राम, चने का आटा 10 ग्राम मिलाकर रोटी बनाकर सब्जियों के साथ खायें। यदि केवल चने की रोटी ही 8-10 दिन खायें, तो पेशाब में शक्कर जाना बंद हो जाता है।
जौ मधुमेह के रोगियों के लिए व मोटापा कम करने के लिए बेहद उपयोगी हैं। जौ की रोटी को खाने से मधुमेह रोग नियन्त्रण में रहता है।
जौ को भूनकर आटे की तरह पीसकर रोटी बनाकर खाने से मधुमेह में लाभ होता है।
12. मोटापा:
जौ के सत्तू और त्रिफले के काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त हो जाता है।
जौ को पानी में 12 घंटे तक भिगो दें। इसके बाद इसे सुखाकर छिलका उतार दें, बिना छिलके के जौ भी मिलते हैं। छिलके रहित जौ की खीर दूध के साथ बनाकर रोजाना सुबह और शाम कुछ दिनों तक खाने से कमजोर व्यक्ति मोटे हो जाते हैं।
13. शरीर का शक्तिशाली होना:
जरूरत के अनुसार जौ लें और इनको पानी में भिगोकर कूट लें और इनका छिलका उतार लें। अब लगभग 60 ग्राम की मात्रा में छिले हुए जौ को लगभग 500 मिलीलीटर दूध में डालकर इसकी खीर बनायें। दो महीनों तक इसको लगातार खाने से पतला आदमी भी मोटा हो जाता है और उसके शरीर में जबरदस्त ताकत आ जाती है। अगर इस खीर का प्रयोग प्रतिदिन न कर सके तो हफ्ते में कम से कम दो या तीन बार अवश्य करें।
उबले हुए जौ का पानी रोजाना सुबह और शाम को पीने से शरीर में खून बढ़ता है। जौ का पानी गर्मियों के दिनों में पीने से अधिक लाभ मिलता है।
14. पेशाब में खून आना: 50 ग्राम जौ को आधा किलो पानी में डालकर उबाल लें। जब उबलने पर पानी आधा बाकी रह जाये तो उसे उतारकर दिन में 3 बार पीने से पेशाब में खून आना बंद हो जाता है।
15. गठिया रोग: चीनी तथा जौ के आटे के बने लड्डू गठिया के रोगी के लिए बहुत लाभकारी होते हैं। इससे दर्द व सूजन दूर हो जाती है।
16. गर्मी के कारण चक्कर आना: जौ का सत्तू पीने या खाने से शरीर में ठण्डक आती है और शरीर गर्मी सहन कर सकता है।
17. बांझपन की पहचान: एक गमले की मिट्टी में जौ के दाने दबाएं फिर स्त्री का सुबह का मूत्र इसमें डाले। यदि एक सप्ताह के लगभग दाने उग आएं तो समझना चाहिए कि स्त्री बांझ नहीं हैं।
18. पीलिया: जौ के सत्तू खाकर ऊपर से एक गिलास गन्ने का रस पिएं, चार-पांच दिन में ही पीलिया का रोग दूर हो जाएगा।
19. गर्भपात:
जौ का छना हुआ आटा, तिल और शक्कर प्रत्येक 12-12 ग्राम लेकर महीन पीसकर शहद में मिलाकर चाटने से गर्भपात नहीं होता है।
जौ का आटा और शर्करा समभाग मिलाकर खाने से बार-बार होने वाला गर्भपात रुकता है।
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20. आग से जलना: जौ जलाकर तिल के तेल में बारीक पीसकर जले हुए पीड़ित अंग पर लगाना लाभकारी है।
21. जौ की राख बनाने की विधि : किसी बर्तन में जौ डालकर जलता हुआ कोयला डालकर जौ को जलाएं। जौ जल जाने के बाद किसी बर्तन से ऐसा ढक दें कि उसमें हवा न जाए, फिर 4 घंटे के बाद कोयले को निकालकर फेंक दें और जले हुए जौ को पीस लें अथवा जौ को तवे पर इतना सेंके कि जौ जल जाए।
22. पथरी : जौ का पानी पीने से पथरी गल जाती है। पथरी के रोगियों को जौ से बनी चीजें, जैसे-रोटी, धाणी, जौ का सत्तू लेना चाहिए। इससे पथरी निकलने में सहायक मिलती है तथा पथरी नहीं बनती है, आन्तरिक बीमारियों और आन्तरिक अवयवों की सूजन में जौ की रोटी खाना लाभकारी है।
23. प्यास अधिक लगना:
एक कप जौ कूटकर दो गिलास पानी में 8 घंटे के लिए भिगोकर रख दें। 8 घंटे बाद इसे आग पर उबालकर इसके पानी को छानकर गर्म-गर्म पानी से गरारे करने से तेज प्यास मिट जाती है।
सेंके हुए जौ के आटे को पानी में मथकर (न अधिक गाढ़ा हो और न अधिक पतला) घी मिलाकर पीने से प्यास, जलन और रक्तपित्त दूर होती है।
24. दस्त: जौ और मूंग का पसावन बनाकर पीने से आंतों की जलन दूर होती है और अतिसार में लाभ होता है।
25. रक्तवात: सेंके हुए जौ के आटे और मुलेठी को धोए हुए घी में मिलाकर लेप करने से रक्त वात खत्म हो जाता है।

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