Blog

NKS

Yatharth Sandesh
19 Nov, 2017(Hindi)
Bhartiya Culture Protection

रानी_पद्मिनी -- #कल्पना_या_सत्य --

/
2 Reviews
Write a Review

2984 Views

 
#रानी_पद्मिनी -- #कल्पना_या_सत्य --

पिछले कुछ दिनों से पद्मावती मूवी पे घमासान मचा हुआ है । राजपूती शान का प्रतीक बनाकर कुछ लोग अपनी रोटियां भी सेक रहे है कुछ जातिवादी भी अपना मतलब सिद्ध करने और खुद को चमकाने में लग गए है लेकिन किसी भी राजपूत या किसी हिन्दू ने अभी तक ये कोसिस नही की जिस रानी पद्मिनी को सिर्फ मालिक मोहम्मद जायसी रचित "महाकाव्य पद्मावत" का एक काल्पनिक चरित्र बताया जा रहा है उसे एक वास्तविक चरित्र सिद्ध कर सकें ।।

तो आइये आज एक खंडन इतिहास का करते है और रानी पद्मिनी को कल्पना से निकाल कर वास्तविकता की धरा पे ले आते है ---

#रानी_का_असली_नाम --

सर्वप्रथम आप ये जान लीजिए कि रानी पद्मावती नही वरन रानी का असली नाम रानी पद्मिनी था (मालिक मुहम्मद जायसी के पद्मावत में भी यही नाम है )।।

#क्या_रानी_पद्मिनी_सिंघलद्वीप(श्रीलंका ) से थी --

जी नही रानी पद्मिनी श्रीलंकाइ नही थी वरन सिंघलदीप की जरूर थी , ऐतिहासिक ग्रंथो को खंगालने पर सिंघलदीप(लंका) के राजवंश की नामावली में न हम्मीर नाम मिलता है ना गंधर्वसेन नाम मिलता है । अतः श्रीलंका (सिंघलदीप) कभी भी रानी पद्मिनी का पीहर नही हो सकता है , रणथंभौर के इतिहास में राजा हम्मीर चौहान का उल्लेख मिलता है और रणथम्भौर में आज भी पदम तालाब है जो रानी पद्मिनी की स्मृति में बनवाया बताया जाता है ।।

#सवाईमाधोपुर (राज.) से 8 km दूर रणथम्भौर का सीमापवर्ती सिंहपुरी क्षेत्र जो शेरपुर के नाम से भी जाना जाता है जो अब खिलजी शेखपुर के नाम से भी जाना जाता है वही रणथम्भौर का सिंघलदीप कहा जाता है
प्रमाण -- कवलाजी (कृतमालेश्वर) तीर्थस्थल के पास चातल नदी के किनारे स्थित ज्ञान वापी कुंड की दीवार पे वी. स. 1345 का वर्ष अंकन है और राजा हम्मीर चौहान का राज्याभिषेक का उल्लेख भी ।।

इस शिलालेख में कुल 42 श्लोक है जिसमे से 38वे श्लोक में रणथंभौर के शाशक हम्मीर चौहान द्वारा यज्ञ के बाद सिंघपूरी के ब्राम्हणो को 1000 गाय देने का उल्लेख है ।।

#दूसरा_तथ्य -- रणथम्भौर के किले में प्रवेश के तुरंत बाद एक तालाब है जिसे पद्म तालाब कहते है , एक महल का नाम बादल महल भी है जिस जोगी से राजा रतनसिंह रानी पद्मिनी की तारीफ सुनते है और उसके माध्यम से सिंघलदीप(रणथंभौर) पहुचते है उसके नाम पे वहाँ जोगी महल भी है ।।

#रणथम्भौर_की_द्वीप_से_तुलना क्यों कि जाति है --
रणथम्भौर का किला चारो ओर पहाड़ियों से इस कदर घिरा हुआ है कि ये द्वीप की तरह ही लगता है सिंहपुर या सिंघलदीप पहुँचने के लिए वक्रतटनी(अपर नाम चातल व तिलजा) एक तालाब , गणेशगंगा, बनास, गंभीरी ,खारी व चम्बल आदि नदियों को पार करके आना पडता है , सम्भव है राजा रतनसिंह को चित्तौड़ से सिंघलदीप आने के लिए इनमे से ही एक या 2 या अधिक नदियों को पार करना पड़ा हो और इन नदियों का पानी बारिस के समय समुद्र समान ही दिखता है तो कवि ने इसे समुद्र की उपमा दे दी।।

#तीसरा_तथ्य जो सिद्ध करता है कि रानी पद्मिनी एक वास्तविक इतिहास का चरित्र है ना कि कल्पना --

नयचंद्र सूरी कृत हम्मीर महाकाव्य के अनुसार हम्मीर चौहान संवत 1339 (हम्मीर महाकाव्य ,8/56 पेज 86) और उसका शिलालेख संवत 1345 का उपलब्ध भी है ।

उसी में एक उल्लेख आता है कि राघव चेतन (जिनके द्वारा रतनसिंह को रानी पद्मिनी का पता मिला था) कि पौत्र सभा मे अपना परिचय राघव चेतन के पौत्र के रूप में देता है और खुद को राजा रत्नसिंघ का भेज दूत बताता है और रानी पद्मिनी को वापस चित्तौड़ ले जाने की बात करता है ।।

#रानी_पद्मिनी_के_संदर्भ_में_सबसे_महत्वपूर्ण_दस्तावेज और उल्लेख छिताई चरित का माना जाना चाहिए।।
छिताई चरित की हस्तलिखित प्रति वी.स. 1583 , सन 1526 की लिखी हुई उपलब्ध है ।।

इसके संपादक श्री हरिहर नाथ द्विवेदी , ग्वालियर निवासी ने इसका रचना काल इस प्रितिलिप काल से लगभग 46 वर्ष पूर्व मानकर इसकी रचना का समय संवत 1537 अर्थात सन 1480 माना है जो लिपि के अनुसार बिल्कुल सटीक आकलन है ।।

#छिताई_चरित पेज 31 , भूमिका भाग , प्रथम संस्करण , सन 1960 ।
छिताई चरित के पेज 50 पे अलाउद्दीन के द्वारा राजा रतनसिंग और रानी पद्मिनी का नाम लेना और रानी पद्मनी को पाने की लालसा करने का स्पष्ट उल्लेख लिखा हुआ है बादल के राजा रतनसिंग को छुड़ा ले जाने का भी वहाँ उल्लेख मिलता है ।।

#निष्कर्ष - रानी पद्मिनी कोई पद्मावत का एक काल्पनिक चरित्र नही बल्कि भारत के गौरवशाली इतिहास का एक वास्तविक चरित्र है जिसे कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी झुठलाने की नाकाम कोसिस कर रहे है ।।

#विशेष --

विषयों का लिए दर-दर भटकते फिल्मकारों को अपनी कहानियों के लिए इतिहास का इलाका खासा हराभरा नजर आया। यहां उन्हें प्रेम कहानियां भी मिलीं और भरपूर ड्रामा भी। कुचक्रों और षड्यंत्रों की कथाएं, देशप्रेमी नायक। सब कुछ इतिहास में मिलने लगा। फिल्मकारों ने पौराणिक कथाओं को भी इतिहास में शामिल करके नया मसाला तैयार किया। जो थोड़ी बहुत कमी रह गई थी, उसे फिल्मकारों ने अपनी कल्पनाशीलता के इस्तेमाल से पूरी कर ली। बिना इस बात की परवाह किए कि वे इतिहास को मनोरंजन की सामग्री बना दे रहे हैं।

#अनेक_इतिहासकारों और वकीलों ने यह आरोप लगाया कि जोधा-अकबर राजस्थानी समाज के ताने-बाने को ध्वस्त कर देगा क्योंकि इस धारावाहिक में भयंकर गलतियां हैं और निमार्ताओं ने धारावाहिक बनाने से पहले कोई शोध नहीं किया है। जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के कुलपति एलएस राठौर ने उस वक्त कहा था, ‘व्यावसायिक हितों के लिए इतिहास को तोड़ने मरोड़ने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इतिहास भविष्य की पीढ़ियों की विरासत है। यह भी तथ्य है कि अबुल फजल के ‘अकबरनामा’ में जोधा बाई का कोई जिक्र नहीं है। ‘जहांगीरनामा’ में भी जोधाबाई का कोई उल्लेख नहीं है। धारावाहिक में जोधा बाई को अकबर की पत्नी बताया गया है। अन्य घटनाओं के साथ भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर छूट ली गई है, लेकिन इस धारावाहिक के विरोध का कोई असर नहीं हुआ। धारावाहिक बना, चला और पसंद किया गया।

#अपील -
मैंने नेशनल TV पे कुछ डिबेट देखी जिसमे हिन्दूओ का प्रतिनिधित्व कर रहे कुछ महानुभावो को ये तक नही पता कि नेशनल TV पे बोला क्या जाए और अपना पक्ष कैसे रखा जाए , मेरा निवेदन है कि राजपूत समाज नेशनल TV पे डिबेट के लिए उसे ही भेजे जिन्हें थोड़ी बहोत इतिहास की जानकारी हो जो एंकर के सवालों का तथ्यों से जवाब दे सके ।।
#संदर्भ --
1- छिताई चरित पेज 39 से 50
2 - हम्मीर महाकाव्य पेज 8/50 से पेज 86
3 - ज्ञान वापी कुंड के शिलालेख
4 - डॉ बृजमोहन जवालिया का शोधलेख " कतिपय विवाद और समाधान "
5 - राजस्थान का पुरातत्व एवम इतिहास भाग - 1 पेज276
6 - डॉ दशरथ शर्मा शोधलेख " पद्मिनी चरित्र चौपाई "

Featured Posts

Reviews

2 Reviews

5star 0% (0)

4star 50% (1)

3star 50% (1)

2star 0% (0)

1star 0% (0)


Yahi hai real story .bhansali jhutha hai.

Shailendra

02 Dec, 2017

विवादित फिल्म पदमावती पर सटीक ऐतिहासिक जानकारी जो भारतीय संस्कृति की रक्षा हेतु प्रत्येक भारतीय को समझनी चाहिए।  

JITENDRA MOHAN SHARMA

20 Nov, 2017

Write a Review

Select Rating