मुझसे अधम अधीन उबरे न जाएँगे, तो आप दीनबंधु पुकारे न जाएँगे। जो बिक चुके हैं और ख़रीदा है आपने अब वह गुलाम ग़ैर के द्वारे न जाएँगे। पृथ्वी के भार आपने सौ बार उतारे, क्या मेरे पाप भार उतारे न जाएँगे। खामोश हूँगा मैं भी गर आप ये कह दो, अब मुझसे पातकी कभी तारे न जाएँगे। तब तक न चरण आपके संतोष पाएँगे, दृग ‘बिन्दु’ में जब तक ये पखारे न जाएँगे।